कल स्थानीय श्मशान घाट कमेटी में संघ के धर्म जागरण मंच की और से सम्पर्क किया गया । जिसमें श्मशान घाट के अधिकारियों के इस बात के लिये आग्रह किया गया कि अंतिम संस्कार की रस्म के लिये सम शान घाट में देशी गाय माता के गोबर से तैयार उपले (कंडे ,पथियाँ ) भी रखें जाएं जाए । तांकि अंतिम संस्कार की रस्म देशी गाय के गोबर के उपलों पर हो सके । श्मशान घाट के अधिकारी इस पर सहमत हो गए ।
अगर हिन्दू समाज लकड़ी के स्थान पर देशी माता के गोबर के उपलों पर किया जाए तो इसके निम्नलिखित लाभ होंगें।
1. शास्त्रों के अनुसार गाय के गोबर पर अंतिम संस्कार सबसे उत्तम है।
2. इससे करोड़ों पेड़ वर्ष भर में कटने से बच जाएंगे । एक पेड़ को बड़ा होने में कम से कम दस साल का समय लगता है । इससे पर्यावरण संरक्षण होगा ।
3. देशी गाय माता से लोगों का जुड़ाव बढ़ जाएगा ।
4. देशी गाय माता की गो शाला को अतिरिक्त आमदनी भी हो जाएगी । एक शव पर कम से कम 500 उपलों की जरूरत होगी जिससे 1000 रुपये तक प्रति अंतिम संस्कार गो माता के सेवा के लिये स्वयं अर्पित हो जाएंगे ।
5. कई गरीब लोगों को रोजगार मिलेगा ।
6.हिन्दू समाज की पर्यावरण सरक्षण की प्रतिवद्धता निर्विवाद है । इससे हिन्दू धर्म की छवि विश्व में और भी मजबूत होगी ।
अगला काम परोहित परिषद गठित करना है जिसके द्वारा हिन्दू समाज को अंतिम संस्कार गाय के उपलों पर हो , इस बात के लिये प्रेरित किया जा सके । श्मशान घाट में इस उद्देश्य हेतु बैनर भी लगवाये जाएंगे जिस पर लिखा होगा ' शास्त्रों के अनुसार गाय के गोबर से तैयार उपलों या गो काष्ठ पर किया गया संस्कार ही उत्तम है ' । कोई भाई बहन इस सन्दर्भ में कोई परामर्श या सुझाव देना चाहे तो सुझाव आमंत्रित है ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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