बॉलीवुड की अधिकतर फिल्में ड्रग माफिया के पैसों से बनती हैं । इसलिए बॉलीवुड के भांड और वेश्ऐं वह सब करती हैं जो माफिया चाहता है । अगर किसी को लगता है कि बॉलीवुड के भांड या वेश्एं अपनी एक्टिंग के दम पर फिल्मों में कास्ट की जातीं हैं तो आपकी भूल है । माफिया के कहने पर बॉलीबुड की वेश्या अफसरों और नेताओं के बिस्तर गर्म करती है । दिशा पाटनी जो बॉलीवुड की बहुत बड़ी वेश्या है वह उध्दव ठाकरे के विस्तर गर्म करती है फिर उसको फ़िल्म मिलती है । संजय दत्त जो बॉलीवुड का बहुत बड़ा भड़बा था उसके घर से ak 47 निकली थीं जो दाऊद ने रखवाई थी । संजय दत्त भांड की यह सब करना मजबूरी था । नही तो उसको फिल्मे नहीं मिलती । अब यह आयर्न खान और शाहरूख खान यह सब भी नशे के कारोबार में लगे हुये हैं क्योंकि इनको फिल्मे लेनी होती हैं । अगर एक तगड़ा हाथ डाला जाए तो बॉलीवुड के 90% भांड और वेश्याएँ जेल में होंगी । फ़िल्म इंडस्ट्री एक गटर है और कुछ नहीं । कुछ लोग इनको अपना हीरो या आदर्श मानतें हैं ,जो कि बिलकुल गलत है । आप इनका मुजरा देखो लेकिन इनको अपना आदर्श मत बनाओ ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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