मन्दिर में चढ़वा कमेटी/सरकार की पेटी में डालने की जगह गरीब पुजारी के हाथ में दें । इससे निम्नलिखित लाभ होंगे
1. बड़े मन्दिरों जिन पर करोड़ों का चढ़वा चढ़ता है वह सरकार के नाजायज कब्जे में हैं । इन मन्दिरों में चढ़या गया दान मुसरमानों को आईएएस बनाने , इमामो को तनख्वाह देनें आदि के लिए खर्चा जाता है ।
2. जो मन्दिर कमेटी के अधीन हैं उनमें अधिकतर मंदिर में मोटी करप्शन चलती है ।
3. दान के लिए सुपात्र होना बहुत आवश्यक है । कुपात्र को दान बिल्कुल नहीं देना चाहिये ।
4.अधिकतर छोटे मन्दिरों के पुजारी जी को बहुत कम वेतन मिलता है ।
5.पुजारी को दक्षिणा देनें से आप को खुशी मिलेगी जो दान पेटी में डालने से नहीं मिलेगी ।
6. पुजारी जी को दक्षिणा मिलने से धर्म और संस्कृत का प्रसार होगा । क्योंकि अधिकतर पुजारी गुरुकुल में पढ़ते हैं या संस्कृत सीखते हैं । इनकी देखरेख करने से अधिक लोग संस्कृत और गुरुकुलों की और आकर्षित होगें ।
7. कम से कम आपका दान अल्पसंख्यक तुस्टीकरण के लिए नहीं लगेगा
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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