कंपनियों द्वारा प्रयोजित कुत्ता race में वही व्यक्ति जीतेगा जो इस कुत्ता race में शामिल नहीं होगा । अपितु बाहर बैठ कर देखेगा । i phone , मंहगी गाड़ियों आदि गैर जरूरी चीजों की artifical demand ,create की जाती है और आप इस कुत्ता रेस में शामिल होकर अपनी जिंदगी झंड कर लेते हो । कुत्ता रेस से बचने के उपाय
1. अपना friend circle सीमित रखें । फुकरे दोस्तों को अलविदा कहें । फुकरी को हमेशा crticize करें ।
2.अपनी जिंदगी में बैलेंस रखें अपने लिये जियें दूसरों के लिये नहीं ।
3. कभी कर्ज़ ना लेनें का प्रण करें । मंहगी कार ,मंहगा मोबाइल का कोई लाभ नहीं अगर आप अपनी g फाड़ कर forturner ले लेते हो तो किसी की जगुआर आपको तंग करेगी ।
4. life insurance ,health insurance कभी मत लें यह अपनी जिंदगी को किराये पर लेने के समान है । जब तक जियोगे किराया भरोगे ।
5. अपनी जरूरतें कम करें ।
6. काम कम करें और बचा हुए समय मे योग ,अध्यात्म ,भक्ति आदि द्वारा अपना मानसिक विकास करें । अगर आप काम कम करते हो तो आपकी creativity के लिये आप के पास समय होगा । हो सकता है कि आपकी creativity आपको उस मुकाम तक ले जाये जिसके पास कुत्ता race से पहुँचना नामुमकिन है ।लेकिन अगर कुत्ता race में फंस गए तो आपकी creativity तो गई तेल लेनें ।
7. कम काम से बचे हुए समय का उपयोग आपने खान पान को सुधारने में कर सकतें हैं जैसे अपना अट्टा, हल्दी ,मिर्च ,बेसन आप पिसवाना आदि । इससे आपकी सेहत भी बचेगी और पैसे भी ।
8. बचे हुए समय में आप अपनी त्वचा पर भी ध्यान दे सकतें हैं जैसे घर में नारियल के शुद्ध तेल की साबुन आदि बना कर आपके व्यक्तित्व में निखार आ सकता है ।
9.कुत्ता race से बाहर निकल कर आप निष्काम कर्म अर्थात वह काम जिसमें आपका निजी हित नहीं उसको करने के लिये आपके पास समय ही समय होगा । निष्काम कर्म जैसे ,वरीक्षारोपन ,सनातन धर्म का प्रचार प्रसार , गौ सेवा ,स्वदेशी ,संस्कृत आदि को promote करने पर आपको वह प्रतिष्ठा हासिल हो सकती है जो कुत्ता race में कभी सम्भव नहीं
इसलिये काम कम करे ,अपनी जरूरतें कम करें । कुत्ता race से बाहर निकले । कंपनियों के हाथों की कठपुतली बनने से अच्छा है अपनी जिंदगी के मालिक स्वयं बने । cost of living कम करें । अगर आप के पास खुद का मकान नहीं है तो छोटे शहर में शिफ्ट हो जाएं वहां पर मकान बहुत सस्ते मिल जातें हैं । आजकल के इंटरनेट के जमाने मे किसी बड़े शहर में कुत्ते की जिंदगी जीने से अच्छा है किसी छोटे शहर में शेर की जिंदगी जियें ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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