नमस्कार मित्रो आज हम चर्चा करेंगें पूंजीवादी कर्ज़े की अर्थव्यवस्था और सनातन बचत अधारित अर्थव्यवस्था के बारे में ।हम चर्चा करेंगे कि कैसे पूंजीवादी कर्ज़ आधारित अर्थव्यवस्था के मॉडल के कारण आप पर कर्ज और महंगाई हर वर्ष बढ़ती ही जा रही है । हम चर्चा करेंगे कि कैसे सरकार सनातन अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाकर सारी प्रजा का कर्ज उतार सकती है ,मंहगाई को नियंत्रित कर सकती है ,बेरोजगारी का खात्मा कर सकती है , देश को आत्मनिर्भर बना सकती है , आम जनता की भलाई के लिये बिना अतिरिक्त टैक्स लगाए पैसे एकत्र कर सकती है । सबसे पहले हम पूंजीवादी कर्ज़े अधारित अर्थव्यवस्था के मॉडल में जान लेते हैं । सबसे पहले हम यह जानने का प्रयास करतें हैं कि बैंकिंग प्रणाली कैसे रिज़र्व फाइनेंसिंग के माध्यम से मुद्रा छापती है । इसको सीधा एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं । मान लो आपके पास 10 लाख रुपये हैं तो आप अधिक से अधिक 10 लाख रुपया ही किसी को कर्ज दे सकते हो इसके अतिरिक्त आप एक रुपया अधिक कर्ज़ किसी को दे नहीं सकते । भारत में इस समय लगभग 20 लाख करोड़ रुपये के CURRENCY NOTES सरकार (RBI) ने PRINT किये हुए हैं । इनमें से लगभग 10 लाख करोड़ ही BANKS ही जमा हैं । कायदे से BANKS अधिक से अधिक 10 लाख करोड़ का ही कर्ज़ दे सकते थे लेकिन BANKS ने लगभग 60 लाख करोड़ कर्ज़ दे रखा है । यह 50 लाख करोड़ अतिरिक्त कर्ज़े BANKS ने RESERVE FINANCING के तरीके से CREATE किये हैं । यह 50 लाख करोड़ अतिरिक्त कर्ज़ एक तरह की मुद्रा है जो BANKS ने छाप ली है । जिसकी VALUE पर सरकार का कोई अधिकार नहीं है । BANKS मुद्रा कैसे छापते हैं इसको एक दूसरे उदहारण के माध्यम से समझते हैं । मान लो आप ने ABC BANK से 10 लाख रुपये का HOUSING LOAN लिया । अब ABC बैंक आपको यह 10 लाख रुपया नकद ना देकर आपके SAVING ACCOUNT में CREDIT कर देगा और आपके HOUSING LOAN ACCOUNT में DEBIT कर देगा । मान लो अपने इस दस लाख रुपये में से 2 लाख रुपये का CHEQUE मुझे काट दिया और मेरा एकाउंट भी ABC BANK में है ।मैंने यह दो लाख का CHEQUE अपने SAVING ACCOUNT में CREDIT करवा दिया । इस सारी प्रक्रिया में ABC BANK ने किसी को एक रुपया भी नहीं दिया । ABC बैंक ने ENTRIES डाल कर ही 10 लाख रुपये CREATE कर लिये । ABC बैंक द्वारा ISSUE की गई CHEQUE BOOK वह सब काम करेगी जो सरकार द्वारा PRINT की गई CURRENCY कर सकती है। मुद्रा हर वह चीज़ है जिससे आप बाजार में से सामान खरीद सकते हैं जैसे सरकार द्वारा मुद्रित currency notes ,BANKS द्वारा मुद्रित cheque आदि । लेकिन यहाँ सरकार द्वारा PRINT की गई करेंसी से सरकार का लाभ सरकार को होता है जो सरकार अंत में लोगों को बांट सकती है । दूसरी और BANKS द्वारा RESERVE FINANCING से CREATE की गई मुद्रा का लाभ केवल बैंक्स के PROMOTERS को होता है । ऊपर दिए गए उदहारण में भारत मे बैंक्स जो 50 लाख करोड़ का अतिरिक्त कर्ज़े जो लोगों में बांटा है उस पर बैंक 10 से लेकर 18% तक INTEREST लेगा । जिसका लाभ केवल BANKS के PROMOTERS को होगा । सरकार या आम जनता को नहीं । आगे हम जान लेतें हैं पूंजीवादी कर्ज़ आधारित अर्थव्यवस्था का मॉडल कैसे चलता है । अक्सर आपने सुना होगा सरकार ने देश की ecomomy को boost करने के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज की घोषणा की । जिसका बड़े बड़े पूंजीपतियों ने ,world बैंक ने , बड़े बड़े अर्थशास्त्रीओं ने स्वागत किया है । क्या है | कहां से आता है यह 20 लाख करोड़ रुपया ? क्या यह आपके टैक्स का पैसा है ,जो सरकार के पास पड़ा है वह सरकार बंटाती है? या सरकार को यह पैसा world bank या विदेशों से मिलता है ? तो इसका उत्तर है कि ऐसा कुछ नहीं है । सरकार द्वारा यह यह 20 लाख करोड़ असल में कर्ज़ है जो banks द्वारा उपरोक्त उदहारण में बताए गए रिज़र्व फाइनैंसिंग के माध्यम से क्रिएट कर ली जाएगी । इस सब में सरकार को कोई भी आमदनी नहीं होगी । banks द्वारा यह reserve फाइनैंसिंग के माध्यम से मुद्रा क्रिएट करने को पूंजीवादी कर्ज़े की अर्थव्यवस्था का मॉडल कहते हैं । सन 2008 में banks द्वारा कुल कर्ज़ दिया गया था 18 लाख करोड़ । क्रमशः

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