पंजाब को जट्ट सिख राजनीति से मुक्ति के साथ साथ धार्मिक क्रांति की भी आवश्यकता है । पंजाब के गांवों में सीखों सनातन धर्म को समाप्त कर दिया है । जिसका लाभ ईसाई मिशनरी उठा रही है । जिन गांवों की हवाओं कभी राम कृष्ण के भजन कानों ने रस घोलते थे वहाँ अब नीरसता है । राम और कृष्ण भारत की एकात्मता का सूत्र हैं जो पंथ या सम्प्रदाय इन पर कटाक्ष करता उसपर इतना तीव्र प्रहार हो चाहिए कि उनके कानों में से धुआं निकल जाए । पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों को रामायण गीता के ज्ञान और राम कृष्ण के भक्ति रस में डुबोने का उचित समय है क्योंकि पंजाब की धरती पर निराकार की उपासना के नाम पर कई गुरु ,पीर फ़क़ीर स्वयं ही भगवान बन बैठें हैं । जब तक आशुतोष जी महाराज जीवत थे पंजाब में आशा की किरण दिखती थी । उनके समाधि लेने के उपरांत अब केवल एक ही संस्था से उम्मीद है वह है इस्कॉन । इस्कॉन ही वह संस्था है जो इसाई मशीनरी को काउन्टर कर सकती है ।पंजाब की पिच खाली है । अगर इसको जल्द ही भरा नहीं गया तो पंजाब की धरती अगला नागालैंड बन सकती है ।
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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