पूंजीवादी westarn culture में क्योंकि परिवार एक छत के नीचे नहीं रहता । मां कहीं और पिता कहीं और ,भाई कहीं और ,बहन कहीं ,बच्चे कहीं रहते है इसलिये वहां वर्ष में एक  दिन सब अपने मां से मिलने जाते हैं ,एक दिन बाप से मिलने जाते हैं एक दिन अपने भाई से ,एक दिन अपनी बहन से मिलने जाते हैं इसलिये पूंजीवादी व्यवस्था में mother day ,father day आदि का concept आया । सनातन व्यवस्था का मुख्य आधार   परिवार था  और सारा परिवार एक छत के नीचे रहता था इसलिये सनातन भारत में mother day ,father day की कोई अवधारणा प्रचलित नहीं थी । इसलिए  सनातन भारत में mother day, father day कभी नहीं मनाये जाते । 
धीरे धीरे जैसे जैसे हम सनातन अर्थव्यवस्था के मॉडल को छोड़ कर पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपना कर अपना विनाश कर रहें है तो हमारी परिवार व्यवस्था टूट रही है । और जैसे जैसे हम पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से अपना  विकास ( सर्वनाश) कर रहें हैं हमारी परिवार व्यवस्था भी खत्म हो रही है ।  जबतक भारत में सनातन अर्थव्यवस्था का मॉडल चलता था सारा गांव ही परिवार होता था । फिर जैसे जैसे इंडिया ने  पूंजीवादी अर्थव्यवस्था भारत पर थोपी तो हमारा परिवार सँयुक्त परिवार से ,न्यूक्लियर फैमिली में बदला । अब जब हम और विकास (विनाश) कर रहें है ।न्यूक्लियर फैमिली माइक्रो न्यूक्लियर बन रही है । जिसमें मम्मी बॉम्बे ने 9 to 5 की चोप करती है पाप का आफिस देहली में है और  बच्चा होस्टल में रहता है । इसलिए हमें भी mother day और father day की जरूरत पड़ने लगी है ।

जय विकास ,जय ग्रोथ,जय जीडीपी ।

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