यह है भारत की आर्थिक तरक़्क़ी जो पूंजीवादी ,समाजवादी और साम्यवादी अर्थव्यवस्था के मॉडल ने हमें दी है । सन 1991 में विदेशी कर्ज़ 83.80 अरब डॉलर था अब 2019 में यह बढ़ कर 563.90 अरब डॉलर हो चुका है । कुछ लोग यह कहते नहीं थकते की भारत ने बहुत आर्थिक तरक्की की है । वह जबाब दें । जब तक हम महाराज विक्रमादित्य की बचत की सनातन अर्थव्यवस्था का मॉडल नहीं अपनाते तो ना तो सरकार पर कर्ज उत्तर सकता है ना ही आम लोगों  पर । इस पूंजीवादी कर्ज़े के मॉडल के हिसाब से जितना कर्ज़े आपके ऊपर चढ़ेगा उतनी ही आपकी तरक्की  होगी । महाराज विक्रमादित्य ने सेविंग की सनातन अर्थव्यवस्था का मॉडल अपना का देश का और समस्त प्रजा का कर्ज उतार दिया था । तभी उन्होंने विक्रमी पंचाग चलाया था । आज भी भारत सरकार अगर पूंजीवादी कर्ज़े की इकॉनमी को छोड़कर सनातन बचत की अर्थव्यवस्था का मॉडल अपना ले तो भारत और भारतीयों पर एक रुपये का कर्ज ना रहे और भारत का महाराज विक्रमादित्य वाला स्वर्णिम काल फिर से आ सकता है । पूंजीवादी debt की economy और सनातन saving economy मॉडल के बारे में और अधिक जानकारी के लिये हमारा यह ब्लॉग पढें https://sanatanbharata.blogspot.com/2020/05/vs.html?m=1

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