आजकल उसी reasearch पर पैसा निवेश हो रहा है जिसमें कुछ चन्द पूंजीपतियों का लाभ हो । अगर कोई व्यक्ति या संस्था की खोज समाज भलाई के लिए हो तो कोई सरकार या कंपनी उसको प्रोत्साहित नही करती । कुछ चन्द पूंजीपतियों के लाभ पहुँचने के लिए जो टेक्नोलॉजी का निर्माण होता है उसको विकास के नाम पर बेचा जाता है । उदहारण के लिये बैंकिंग । बैंकिंग की खोज आम लोगों की भलाई के लिये नही हुई । जब बैंकिंग आई है तबसे बेरीज़गारी ,महंगाई बढ़ी ही है कम नहीं हुई । हानिकारक रासायनों और पेस्टीसाइड को उन्नत खेती के नाम पर बेचा जाता है । अगर आप खेती का कोई ऐसा मॉडल ढूंढ लो जिसमे हानिकारक रसायनो की जरूरत ना पड़ती हो तो आप को कोई नही पूछेगा । ना सरकार ना कोई कंपनी । उदहारण के लिये राजीव भाई दिक्सित क्योकि उनकी reasearch समाज भलाई के लिये थी । उनको किसी सरकार ,किसी विदेशी संस्था ने कोई भारत रत्न , मैग्ससे या नोबेल पुरस्कार से नही नवाज़ा । इसके विपरीत अमर्त्य सेन ने कंपनियों को कैसे अधिक अधिक लाभ हो उसके लिये research की उसको नोबल पुरस्कार दिया गया । अगर राजीव दिक्सित जी ने गरीबों के स्थान पर कंपनियों के लिये काम किया होता तो उन्हें भी यह मैग्सेसे नोबल पुरस्कार से नवाज़ा जाता । इसलिए भविष्य में अगर कोई नई खोज होती है तो पूरी संभावना है की इससे मानवता का विनाश ही होगा ।जिसको आपको विकास कहकर परोसा जाएगा । हम भी समाज भलाई के लि ऐसे अर्थतंत्र के मॉडल पर काम कर रहें हैं जिससे सारे गरीब अमीर ,जीव जंतुओं का भला हो । उसका नाम हमने रखा है सनातन मॉडल । Sanatan modal से कैसे देश की अधिकतर समस्याओं का समाधान हो सकता है जानने के लिये हमारा ब्लॉग पढें
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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