पूंजीवादी कम्पनियों की mass production की अवधारणा ने समुद्र का भी विकास करके सत्यानाश कर दिया । पहले स्थानीय मछुआरे सीमित मात्रा में तट के नजदीक केवल अपने गुजर बसर के लिये मछली पकडते थे वह भी सप्ताह में कुछ दिन । फिर बैंकों द्वारा जबरदस्त फंडिंग प्राप्त और सरकारी अनुदान द्वारा प्रायोजित बड़ी बडी पूंजीवादी फिशिंग कंपनियों का धरती पर अवतरण हुआ । और विकास और तरक्की का प्रकाश से आम लोगों की आंखे चुँधिया गई । इन बड़े बड़े पूंजीवादी राक्षसों के पास ये बड़ी बड़ी जहाज होते थे । जो वहां जा कर मछली पकड़ते थे जहां पर इन मछलियों के प्रजनन स्थल थे । इनके जाल भी बहुत बारीक थे जिसमें नवजन्मे मछलियों के बच्चे भी होते थे । जिनको यह बड़े बड़े दैत्य अलग कर ऊँचें दाम पर बेचते थे । जिस कारण समुद्रों में मछलियों की संख्या कम होने लगी और सारा समुंद्री जीवन नष्ट होने लगा । मछलियों की संख्या कम होने के कारण जिन चीजों पर यह मछलियां पलती थी उनकी बढ़ोतरी होने लगी और समुद्र का नाजुक संतुलन बिगड़ने लगा । जो समुद्र लाखों सालों से नष्ट नहीं हुआ । आधुनिक पूंजीवादी तरक्क़ी ने उसे कुछ ही समय पर नष्ट कर दिया । बाकि पूंजीवादी कंपनियों द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक और गंदे पानी ने तो समुद्र की सारी हेकड़ी ही निकाल दी । और इस सबको आपकी तरक्क़ी कहकर ,gdp कहकर बेचा गया । जय विकास, जय जीडीपी , जय growth
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के बारे में। हम चर्चा करेंगे कि कैसे सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम कैसे उपभोक्ता के लिए भी अच्छा है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम और पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम के अंतर को जाने के लिए सबसे पहले हम एक उदाहरण लेते हैं l इस लेख को पूरी तरह समझने से लेख के साथ जो हमने चार्ट लगाया है उसे ध्यान से देखें । मान लो पंजाब में एक शहर है संगरूर ।इसके इर्द गिर्द लगभग 500 व्यक्ति कुल्फी बनाने के धंधे में लगे हुए हैं। यह लोग गांव से दूध लेकर रात को जमा देते हैं और सुबह तैयार कुल्फी शुरू शहर में आकर बेच देते हैं ।इस तरह आपको ताजा कुल्फी खाने को मिलती है ।यह सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उदाहरण है। दूसरी तरफ पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम में संगरूर शहर के गावों का दूध पहले 72 किलोमीटर दूर लुधियाना में बसंत आइसक्रीम के प्लांट में ट्रकों में भर भर के भेजा जाता है ।वहां पर इस प्रोसेसिंग करके इसकी कुल्फी जमा
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