घर की निकाली हुई देशी दारू vs पूंजीवादी बोतलबन्द शराब


1. देशी दारू पिते में गर्मी नही बढ़ाती जबकि पूंजीवादी बोतलबन्द शराब पिते में गर्मी उत्तपन्न करती है । जिस कारण उच्च रक्तचाप high bp की समस्या हो सकती है।
2.घर की बनी देशी दारू में जड़ी बुटियां डाली जाती हैं । जैसे गुड़ ,सौफ आदि । यह एक तरह की औषधि है । पहले जिस व्यक्ति को जो रोग होता था वह उस तरह की औषधि डालकर देशी दारू तैयार करवा लेता था । जैसे मान लो किसी व्यक्ति को sex संबन्धी सममस्या है तो वह सफेद मूसली आदि डालकर घर में देशी दारू निकाल लेता था । जिसका दिल कमजोर होता था । वह अर्जुन
छाल डालकर दारू तैयार कर लेता था। ओषधीय गुण होने के कारण इसको दारू कहा जाता था । क्योंकि यह नशा इसका sideeffect था इसलिये इसको रत्रि को प्रयोग किया जाता था ।
3. दुसरी तरफ पूंजीवादी बोतलबन्द शराब में किसी भी तरह की औषधि का प्रयोग नही किया जाता । इसमे हानिकारक chemical का प्रयोग किया जाता है । जो बोतलबन्द शराब आप 200 रुपये की लातें हैं उसमे raw material अधिक से अधिक 2 से पांच रुपये का होता है बाकि सब tax ,profit ,transportation ,पैकिंग ,रिश्वत आदि में निकल जाता है । पांच रुपये में तो कोई आपको औषधि सूंघने नही देता ।
4. घर की बनी हुई दारू से प्लास्टिक पैकिंग आदि की कोई समस्या उत्पन्न नही होती ।पूंजीवादी बोतलबन्द दारू में सारा ध्यान पैकिंग पर दिया जाता है । पूंजीवाद का उसूल है जो दिखता है वो बिकता है । इसके विपरीत घर की बनी हुई औषधि युक्त दारू में सारा ध्यान raw material पर दिया जाता है ।प्लास्टिक और पैकिंग पूंजीवाद की जरूरत है जिसको आम लोगों की जरूरत बना कर पेश किया जाता है ।
5. पूंजीवादी बोतल शराब की factory के पास से आप गुजर भी नही सकते वहां पर इतनी बदबू आती है । क्योकि इसमें गन्दे रासायनों का प्रयोग किया जाता है । दूसरी और देशी दारू की भट्टी में विभिन्न प्रकार की औषधियों के प्रयोग के कारण ऐसी खुशबू आती है कि जैसे आप स्वर्ग में पहुंच गए हो।
6. पूंजीवादी बोतलबन्द शराब में शराब आपके सामने या पब्लिक के सामने नहीं बनाई जाती । इसलिये आम उपभोक्ता को इसमे क्या मिलावट की है इसके बारे में पता ही नही चलता । दूसरी तरफ देशी दारू की भट्टी में दारू आपके सामने या पब्लिक के सामने निकाली जाती थी जिसकारण निकालने वाला मिलावट नही कर पाता।
7. पूंजीवादी बोतलबन्द शराब में क्योंकि कोई औषधि का प्रयोग ना होकर केवल गन्दे केमिकलों का प्रयोग होता है औऱ यह केमिकल क्योंकि किसी खेत ना आने के कारण किसानों को कोई लाभ नहीं होता ।दूसरी तरफ देशी दारू क्योंकि ओषधीओं से बनाई जाती है और यह ओषधीयां केवल किसान के खेत से आती हैं तो किसानों को इससे अत्याधिक लाभ होता है । अगर सरकार किसानों की आय दुगनी करना चाहती है तो उसे देशी दारु की छूट देनी चाहिये।
8. क्योकि बोतलबन्द अंग्रजों की देंन शराब केमिकलों से तैयार की जाती है । इस कारण जब इन केमिकलों को नदियों में या भूमिगत जल में inject किया जाता है तो हनिकारक रसायन जल में मिलकर निर्मल जल को दूषित करते हैं । दूसरी तरफ देशी दारू में केवल और केवल औषधियों के प्रयोग के कारण जल में कोई रासायन ना घुल कर औषधियां ही घुलती है ।इससे जल प्रदूषित नहीं होता ।
9. देशी दारू में कई औषधियों प्रयोग होती हैं और इन ओषधियों की खेती के कारण जैव विविधता को बढावा मिलता है । दूसरी तरफ पूंजीवादी बोतलबन्द शराब के कारण bio diversity को कोई बढ़ावा नही मिलता।
10. पूंजीवादी बोतलबन्द शराब में क्योकि सारी की सारी शराब के उत्पादन पर कुछ चन्द पूंजीपतियों का नियंत्रण होता है इसलिये शराब के कारोबार से सारा पैसा कुछ पूंजीपतियों के पास इकट्ठा हो जाता है । इसके विपरीत देशी दारू की भाटियों पर कुछ चन्द व्यक्तियों का नियंत्रण ना होकर अनगिनत व्यक्तियों का अधिकार होता है । इसकारण देश में से बेरीज़गारी ,गरीबी का कुछ हद तक उन्मूलन हो सकता है । इस तरह देशी दारू small production by unlimited number of units के सिद्धांत पर आधरित है । और पूंजीवादी बोतलबन्द दारू mass production by limited number of units के पूंजीवादी सिद्धांत पर आधारित है ।
11. पूंजीवादी बोतलबंद शराब Global Production Global Consumption के सिद्धांत पर आधारित होने के कारण globalization को बढ़ावा देती है जबकि देशी दारु local consumption local production अर्थात localization के सिद्धात पर आधारित है ।
12. पूंजीवादी बोतलबन्द शराब transportion के बग़ैर एक कदम भी नही चल सकती क्योंकि raw material और तैयार शराब को उपभोक्ता तक पहुँचने के लिये transportion एक lifeline है । दूसरी तरफ देशी दारू में raw material और उपभोक्ता स्थानीय स्तर पर उप्लब्ध होने के कारण transportation के साधनो की ना के बराबर आवश्कता होती है । आजकल पूंजीवाद के लिये आवश्क चीज़ tansportation को विकास की चाशनी में डूबाकर पेश किया जा रहा है ।
13. बड़ी पूंजीवादी शराब की फैक्ट्री लगने के लिये बहुत बड़े प्लांट की आवश्कता होती है । इसके लिए बैंकिंग की जरुरत है जो बड़ा loan दे सके ।बिके हुए माल की पेमेंट को collect करने के लिए भी बैंकिंग की जरूरत पड़ती है । दूसरी और देशी दारू के लिए कोई महंगी मशीनरी या बैंकिंग की आवश्कता नही । पूंजीवाद के लिए बेहद जरूरी बैंकिंग को देश का विकास कहा जा रहा है ।
14. पूंजीवाद के कारण देश में शहरीकरण की समस्या खड़ी होने लगी है । उदहारण के लिए पहले लोगों को देशी दारू की भाटियों के कारण गांवों में ही रोज़गार मिलता रहता था लेकिन अंग्रजों ने देशी दारू पर बैन लगाकर बड़ी बड़ी पूंजीवादी शराब की फैक्टरियां खोल दीं ।जिसकारण धीरे धीरे ग्रमीण लोग बेरोज़गार हो गए । इसलिए उन्होंने शहरों में जहाँ बड़ी बड़ी पूंजीवादी फैक्टरियां थी उनका रुख कर लिया ।जिस दिल्ली की आबादी 1920 में केवल 400000 थी आज 2 करोड़ ऊपर हैं । इस तरह पूँजीवाद urbannization को बढ़ावा दे रहा है। पूंजीवाद द्वारा दी गयी शहरीकरण की समस्या को विकास ,development का नाम दिया गया है । शहरीकरण से साफ हवा ,साफ पानी ,crime में बढ़ोतरी आदि समस्याओं का निर्माण हुआ है । अगर आज साकार देशी दारू की भाटियों पर लगाया गया बैन उठा ले तो लोग फिर गांवों की तरफ लौट सकते हैं ।
15. पूंजीवादी शराब का मॉडल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है क्योकि शराब की फैक्टरियों का license , शराब के ठेके आदि लेने में कई स्तर पर घूस खिलायी जाती है । दूसरी तरफ देशी दारू की भाटियों का नियंत्रण लोकल स्तर पर ही होता था जिस कारण भ्रष्टाचार का नामोनिशान नही था ।
16. जिस आज़ादी का ढोल पिता जाता है उसकी पोल भी यह ऊपरोक्त उदहारण खोलती है । स्वतन्त्रता का अर्थ है अपना तन्त्र । जब आप अंग्रजों के शराब के मॉडल को replace ही नही कर पा रहे तो यह स्वतंत्रता का ढोंग क्यों । आप परतन्त्र मने और का अँगेजी तन्त्र ढो रहे हो ।

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