मिलावटी पैकेटबंद पिसी हुई हल्दी और घर की पिसी हुई शुद्ध हल्दी

मिलावटी पैकेटबंद पिसी हुई हल्दी के स्थान पर स्थानीय करियाना की दुकान से साबुत सूखी हल्दी लेकर चक्की से पिसवा लें । इससे निम्नलिखत लाभ होंगे।
1.इस प्रक्रिया में आप किसान से सीधे जैविक हल्दी खरीद सकतें हैं ।जिससे पूंजीवादी कंपनियों के स्थान पर पैसा सीधा किसान की जेब मे जाएगा । उसको उचित दाम मिलेंगे और आप को उच्च गुणवत्ता की कैंसर रोधक जैविक हल्दी उचित दाम पर मिलेगी ।
2. जब आप हल्दी छोटी छोटी चक्कियों पर पिसवाएंगें तो आप गरीब लोगों के रोजगार की व्यवस्था करेंगें । पैकेटबंद हल्दी से सारा पैसा बड़ी बड़ी कंपनियों को चला जाता है । और आप विकास और जीडीपी की डुगडुगी बजाते रह जाते हो।
3.आप साबुत हल्दी घर में पारंपरिक इमाम दस्ते में भी पीस सकते हो । जिससे आप की कसरत भी हो जाती है और आप मूर्खों की तरह जिम में पैसा और समय दोनों बर्बाद करने से बच जाते हो।
4. पूंजीवादी पैकेटबंद हल्दी बिना प्लास्टिक के एक कदम भी नही चल सकती । अगर आप खुद की हल्दी पीसते हो तो आप प्लास्टिक की समस्या से देश को बचा सकते हो।
5. अगर आप सीधा किसान से साबूत हल्दी लेकर पिसवा लेते हो तो ट्रांसपोर्टेशन की आवश्यकता कम पड़ती है ।जिसको आप पर विकास के नाम पर थोपा जाता है।
6. पैकेटबंद हल्दी में अधिकतर मार्जिन रिटेलर ,advertisement,transportation ,taxation ,marketing आदि में निकल जाता है । इसलिये हल्दी की कीमत बाजिव रखनें के चक्कर में कंपनियों को हल्दी में मिलावट करनी पड़ती है । हल्दी में मिलावट के बाद उसका रंग maintain करने के लिये उसमे केमिकल और प्लास्टिक colours मिलाए जातें हैं। पैकेटबंद हल्दी का रंग चटक पीला होता है जबकि खुद की पिसाई हुई हल्दी का रंग लालिमा लिये होता है ।
7. घर की पिसी हुई हल्दी से आप सनातन गृह भंडारण,सनातन मिश्रित खेती आदि को प्रोत्साहित करते हो ।
8. अगर आप साबुत हल्दी लेकर खुद पिसवाते हो तो आप सनातन मॉडल , जोकि localisation और small production के सिद्धांत पर आधारित है उसको प्रोत्साहित करते हो । सनातन मॉडल के बारे में विस्तार से जानने के लिये हमारा फेसबुक  पेज लाइक करें | 
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