पूंजीवादी processing और distribution system से होती लूट


अगर आप अपना बेसन आप पिस्वाते हैं तो
1. अच्छे से अच्छा चना 60 रुपए का किलो है । 10 रुपए किलो पिसाई । आपको अच्छे से अच्छा बेसन खुद पिसवा कर 70 रुपए किलो पड़ता है । दूसरी तरफ पूंजीवादी कंपनीज द्वारा पैकेट बन्द बेसन 90 रुपए किलो बेचा जाता है । सीधा सीधा 20 रुपए प्रति किलो की लूट ।
2. अपने पिस्वाए बेसन में कोई मिलावट नहीं हो सकती क्योंकि प्रोसेसिंग आपके सामने होती है । जबकि पूंजीवादी बेसन में कई घटिया और सस्ती चीज़ों की मिलावट की जाती है ।
3. खुद के पिस्वाये बेसन में से चने का छिलका जिसमें असली जान होती है वो आपके बेसन में मौजूद रहता है । जबकि पूंजीवादी बेसन में इसको निकाल लिया जाता है ।
4. घर के पिसवाए बेसन के बने पकोड़े नरम होते है और जीभ पर रखते सार ही मुंह में रस खुल जाता है । जबकि पूंजीवादी बेसन के पकोड़े सख्त और बिल्कुल स्वादिष्ट नहीं होते ।
5. खुद के पिसवाए सनातनी बेसन से हजारों लाखों चक्की वाले गरीब लोगों को रोज़गार मिलता । दूसरी तरफ पूंजीवादी packaged बेसन से सारा पैसा कुछ चन्द पूंजीपतियों तक सीमित हो जाता है ।
6. अगर आप चने के खुद के पिसवाए बेसन को आटे में मिला कर रोटी तैयार करते हैं तो आपका शरीर से extra चर्बी की समस्या से निजात पा सकते हैं क्योंकि शुद्ध चने का बेसन जो छिलके सहित होता है वह शरीर की अतिरिक्त चर्बी और पानी सोख लेता है ।
7, सनातनी घर के बेसन से आप localistion स्वदेशी (local consumption local production ) को बढ़वा देते है । जबकि पूंजीवादी बेसन globalization ( global cosumption global production ) को बढ़वा देते है।
8. पूंजीवादी पैकेट बन्द बेसन क्योंकि कई बार कई कई महीने गोदाम में पड़ा रहता है इसलिए इसमें सुसरी आदि जीव पैदा ना हों इससे बचने के लिए कई हानिकारक केमिकल मिलाए जाते है । जो हर रोज़ हमारे आहार में हमें शरीर को कमज़ोर करते रहते है ।

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