क्या GDP विकास है ?

+2 commerce में हमने एक विषय पढ़ा था जिसका नाम था Statistics (आंकड़ा विज्ञान ) । जिसके प्रस्तावना में लिखा हुआ था कि विश्व में तीन तरह के झूठ होते हैं । पहला झूठ ,दूसरा सफेद झूठ और तीसरा झूठ जो की सबसे ख़तरनाक है उसको कहते हैं आंकड़े ।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का पूरा मॉडल एक आंकड़े GDP पर निर्भर है ‌‌। पूंजीवादी शिक्षा व्यवस्था द्वारा सभी economics के विद्यार्थियों के दिमाग में एक बात कूट-कूट कर भरी जाती है ,कि अगर देश की जीडीपी बढ़ रही है, तो देश का विकास हो रहा है। जबकि होता इसका बिल्कुल विपरीत है।

विकास का जीडीपी से कोई लेना देना नहीं है। जैसे की जिस पानी में कोई Mineral नहीं होता आप को बेवकूफ बनाने के लिए उसका नाम Mineral Water रख दिया गया है उसी तरह विनाश को विकास का नाम दे दिया गया ।
उदाहरण के लिए अगर Health Sector मने बड़ी-बड़ी दवा बनाने वाली कंपनियां जैसे Cipla ,Fizer आदि Grow कर रहा है तो आपके देश में बीमारियां बढ़ रही हैं ।हेल्थ सेक्टर की ग्रोथ का आपकी सेहत से बिल्कुल ही उल्टा संबंध है। अगर आप अधिक बीमार हो गए तो देश की हेल्थ सेक्टर की जीडीपी अधिक बढ़ेगी। लेकिन अगर देश अधिक स्वस्थ हो जाए तो हेल्थ सेक्टर की ग्रोथ कम हो जाएगी। जिससे हेल्थ सेक्टर की कंपनियों के प्रॉफिट प्रॉफिट कम हो जाएंगे और शेयर मार्केट गिर जाएगी ।

देश में पूंजीवादी Media दोबारा जीडीपी का हो हल्ला मचाया जाएगा। देश के 99 प्रतिशत लोगों को जीडीपी का अर्थ ही नहीं मालूम। वह न्यूज़ चैनलों, अखबार वालों के हो हल्ले से प्रभावित होकर सोचने लगते हैं कि जीडीपी कम होने से देश में बेरोजगारी बढ़ेगी। जबकि होता इसका बिल्कुल विपरीत है । जैसे कि मान लो एक शहर में 1000 सब्जी विक्रेता है। वह 1 साल में सब्जी बेचकर 2-2 लाख कमा लेते हैं ।लेकिन वे देश की जीडीपी में कोई भी योगदान नहीं देगें क्योंकि उनकी आय सरकार की किसी बही खाते मे दर्ज नहीं होती।

मान लो अगर उसी शहर में एक Reliance Fresh की दुकान खुलती है ,जो कि सब्जी भी बेचती है । धीरे धीरे वह दुकान 1000 सब्जी वालों को खत्म कर देती है ,और साल में 2000 लाख रुपया कमा लेती है ।तो देश की जीडीपी 2000 लाख रुपया बढ़ जाएगी । इस तरह वह 1000 सब्जी वाले तो बेकार हो गए लेकिन देश की जीडीपी 2000 लाख रुपए बढ़ गई। पहले आपको सब्जी मिलती थी अब भी आपको सब्जी ही मिलती है । अब सब्जी का व्यापार पर पूरी तरह कुछ चंद पूंजीपतियों का नियंत्रण हो जाएगा। लेकिन देश की जीडीपी बढ़ जाएगी।

तीसरा देश की जीडीपी बढ़ने और महंगाई में में बढ़ने में सीधा तालमेल है। जैसे कि अगर देश का रियल स्टेट सेक्टर ग्रोथ कर रहा है ।तो इसका अर्थ है की गरीब और मध्यम वर्ग के लिए जमीन महंगी हो रही है। अगर रियल स्टेट सेक्टर मंदा है यानि कि उसकी जीडीपी घट रही है तो देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लिए जमीन सस्ती उपलब्ध हो रही है ।

इस सारी जानकारी से यह निष्कर्ष निकलता है कि जीडीपी का विकास से कुछ लेना-देना नहीं ।जीडीपी के आंकड़ों को पूंजीवादी मीडिया जैसे की न्यूज़ पेपर, टीवी , आईएमएफ ,वर्ल्ड बैंक द्वारा जोर-शोर से प्रचारित किया जाता है। आम लोग इस दुष्प्रचार के प्रभाव में आ जाते हैं इसलिए सरकार को गलत निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ता है। पूंजीवादी मीडिया द्वारा किए गए हो हल्ले से डर कर सरकार बड़े बड़े पूंजीपतियों को विभिन्न तरीके के Stimulus Package दे देती है ,जैसे कि ऋण में माफी, विभिन्न तरीके की सब्सिडी, टैक्स रेट में कटौती आदि।

‌हम हमें इस बात को समझना होगा कि जीडीपी केवल और केवल एक आंकड़ा है और कुछ नहीं यह आंकड़ा भी पूंजीवादी कंपनियों के लाभ के लिए गढ़ा गया क है।

‌अब सवाल यह है तो प्रश्न यह उठता है कि विकास का पैमाना क्या है क्या होना चाहिए ?

विकास कहते किसे हैं?

१.अगर आपकी सेहत पहले से अधिक अच्छी हो गई है तो देश विकास कर रहा है ।
‌२.अगर आप अगर आपका पर्यावरण पहले से अधिक सशक्त हो गया है ।तो देश विकास कर रहा है ।
‌३. अगर आपकी हवा पहले से अधिक शुद्ध हो गई है तो देश विकास कर रहा है ।
४. अगर अगर आपके देश का पानी पहले से अधिक साफ हो गया है तो आपका देश विकास कर रहा है।
५.अगर आप की परिवार व्यवस्था पहले से अधिक मजबूत हो गई है तो आपका देश विकास कर रहा है।
६.अगर आप के सिर के ऊपर कर्जा कम हो रहा है तो आपका देश विकास कर रहा है।
७. अगर देश की मुद्रा की वैल्यू बढ़ रही है तो देश का विकास हो रहा।
८. अगर आपके आपकी Cost of Living कम हो गई है तो आपका देश विकास कर रहा है।
९. अगर सबको त्वरित और निशुल्क न्याय मिलने लगा है। तो आपका देश विकास कर रहा है ।
१०.अगर भोजन पहले से अधिक पोष्टिक और स्वादिष्ट मिलावट रहित हो गया है तो आपका देश विकास कर रहा है।
इन पैमानों को जज करने के लिए आपको किसी आंकड़े की जरूरत नहीं। आप खुद महसूस कर सकते हैं ।आप इन आंकड़ों पर अपनी जिंदगी को कस कर देखें कि आप विकास कर रहे हैं कि आप का विनाश हो रहा है।
इस तरह हमने देखा कि जीडीपी और खुशहाली का बिल्कुल ही उल्टा संबंध है
धन्यवाद।

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