क्या अलग अलग प्रकार के आनाजों का प्रयोग जरुरी है

जब से यह पिसा हुआ पैकेट बंद आटा आना शुरू हुआ है तबसे हमार भोजन का सत्यानाश हो गया है। हमारे पूर्वज  अलग अलग तरह के आनाज जैसे जों , बज़रा ,जवार , चने ,मक्की आदि का प्रयोग अपने आहार में करते थे वह समाप्त हो गया है | आयुर्वेद के अनुसार अगर हमें स्वस्थ रहना है तो गेहूं के अतिरिक्त अन्य अनाजों का अपने भोजन में प्रयोग अवश्य करना चाहिए | आप शुरआत में गेंहूँ के आटे में अलग अलग तरह के आनाज का अट्टा मिला सकते है | उहाहरण के लिए मैंने 2 किलो साबुत चने लिए, 65 रूपए प्रति किलो और उसको चक्की से पिसवा लिया | अब प्रात एक मुट्ठी बेसन घर के पिसे हुए आटे में मिला लेते हैं | जिससे रोटी स्वादिष्ट भी बनती है और पोस्टिक  भी | लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना है कि कोई भी अनाज पिसा हुआ ना लें चाहे कितनी भी ब्रांडेड कंपनी का क्यों  ना हो |सब branded /Non branded पिसे हुए आटे में से

१. चोकर निकाल लिया जाता है |
२. इनमे हानिकारक रसायन (PRESERVATIVE ) मिलाये जाते है तभी इन पिसे हुए आटों कभी सुसरी आदि जीव पैदा नहीं होती |
३. इनमे घटिया सस्ता ख़राब गेहूं आदि , मिलाया जाता है |

इसलिए खुद का पिसवाया हुआ आनाज ही प्रयोग करें और फिर देखें स्वाद |

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