सनातन संस्कृति को पुर्नस्थापित करने का मार्ग
अगर तुमको लगता कि तुम्हारी संस्कृति महान तो उसको जी कर दिखायो किसने रोका है तुम्हे`` ======================================================== आजकल मैं आजकल की पूंजीवादी न्याय व्यवस्था और सनातन न्याय व्यवस्था के बारे में लिखने की सोच रहा था कि लिखते लिखते इस बात का कारण पता लगा कि क्यो आजकल लोग संस्कृत, वेद आदि पढ़ाने में रुचि नही लेते। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो संस्कृति व्यावहार में नही होती वह समाप्त हो जाती है। तो क्या आज संस्कृत , हमारे वेद, दर्शन आदि हमारे व्यावहार में शामिल. हैं उत्तर है नही। क्या कारण हैं कि हमारे वेद दर्शन संस्कृत आदि हमारी रोजाना जिंदगी मे शामिल नही हैं I जैसे न्याय दर्शन को ही ले लो Iएक आम आदमी के जीवन में न्याय दर्शन की क्या जरूरत Iएक आम आदमी न्याय दर्शन क्यों पढे मुझे एक कारण बता दो। आजकल की जिंदगी में न्याय दर्शन पढकर हमारा क्या लाभ । चाणक्य आगे कहते हैं कि अगर तुम्हारी संस्कृति और तुम्हारा पतन हो रहा है तो उसके कारण तुम स्वयं हो। अगर तुम्हारी संस्कृति महान थी तो उसका पतन क्यों हो गया। तुम्हारे पतन का कारण तुम स्वयं हो ``Iअगर तुमको लगता कि तुम्हार