सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था और पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM
नमस्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे
सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था और पूंजीवादी NO फैमिली सिस्टम के बारे में |हम
चर्चा करेंगे की कैसे सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था ,आजकल की पूंजीवादी NO फैमिली
सिस्टम से हरेक पैमाने पर अच्छी थी | हम चर्चा करेंगे कि आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था ,सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था क्यों और कैसे
तोड़ रही है और आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था
यह क्यों चाहती है की व्यक्ति का कोई परिवार ना हो |
मित्रो सनातन भारत में संयुक्त परिवार
व्यवस्था चलती थी | इस परिवार व्यवस्था में चाचा का परिवार ,ताऊ का परिवार आदि सब रहते थे | परिवार के साथ
साथ व्यापार , धंधा ,खेती आदि भी सांझी होती थी | बड़ा परिवार होने के कारण सब एक
दुसरे के दुःख सुख के सांझीदार थे | पुरुष लोग उद्योग धंधा ,खेती बाड़ी
आदि सँभालते थे और औरतें घर संभालती थी |आजकल पूंजीवादी NO फैमिली सिस्टम में हर
व्यक्ति चाहे वह महिला हो या पुरुष अकेले अकेले रहतें हैं | हर महिला और पुरुष एक 9 से 5 की नौकरी करता है
|अपना कमाता है अपना खाता है | अमेरिका
,कनाडा , ऑस्ट्रेलिया ,इंग्लैंड और यूरोप के देशों में जिनमे पूंजीवादी व्यवस्थाएं
चलती वहां पर अधिकतर लोग नो फॅमिली सिस्टम में रहतें है | इन देशों में जहाँ पूरी
तरह पूंजीवादी व्यवस्थाएं चल रही है उनमे केवल अमीर लोग ही विवाह के बंधन में बंधते
हैं| परन्तु इन लोगो विवाह भी टूटते रहतें हैं | इस तरह बार बार तलाक़ होने से
इनका परिवार बहुत ही कम बन पता है | यह विवाह भी DiNK (DOUBLE INCOME
NO KIDS ONLY SEX ) के सिद्धांत पर आधारित होते हैं | इन देशों में एक प्रसिद्ध कहावत
प्रचलित है की यहाँ तीन W कभी पक्की नहीं होती ,WIFE ,WEALTH और Weather .
सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था और
पूंजीवादी परिवार व्यवस्था का आधार
सबसे पहले हम सनातन संयुक्त परिवार
व्यवस्था के आधार के बारे में जान लेते हैं |
संयुक्त परिवार व्यवस्था त्याग के सिधांत पर आधारित थी | आपका परिवार तभी बन सकता है अगर आप में त्याग करने
की क्षमता हो | बिना त्याग के परिवार की कल्पना करना भी मुर्खता है | माँ जब बच्चे
को जन्म देती है तो उसको बहुत कष्ट उठाने
पड़ते है | किसी बच्चे की सही परवरिश करना दुनिया का सबसे कठिन कार्य है | माता
पिता अपने सुख चैन , रातों की नींद , अपनी बहुत सारी इच्छाएं मारते हैं तब एक
बच्चे की सही परवरिश होती है |इस तरह
सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था में अगर कोई भाई कम भी कमाता था तो भी उसके परिवार की अन्य भाई पूरी तरह देखभाल
करते थे | इस तरह सनातन परिवार व्यवस्था का मुख्य आधार त्याग था जोकि इस व्यवस्था को मजबूत बनाए रखता था|
सनातन परिवार व्यवस्था भारत के इस सिद्धांत पर आधारित थी कि जो आया है वह खाएगा|
जबकि पश्चिम में यह अवधारणा है कि जो कमायेगा वही खाएगा ।
दूसरी तरफ
पूंजीवादी नो फैमिली सिस्टम का मुख्य आधार enjoy है | रूसो जोकि यूरोप का एक बहुत
ही बड़ा दार्शनिक था, उसने अपनी पुस्तक में लिखा है कि व्यक्ति का जन्म enjoy करने के लिए हुआ है और बच्चे इस ENJOY में बाधक
है |पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में विवाह के स्थान पर LIVE IN RELATIONSHIP नाम
का एक temporary किस्म का गठजोड़ चलता है|
इसमें एक MALE PARTNER
और FEMALE PARTNER बिना किसी जिम्मेवारी के एक दुसरे के
साथ रहते हैं || इस LIVE IN RELATIONSHIP का मुख्य आधार Only Sex without any responsibility है |उदाहरण के लिए मान लो एक MALE PARTNER और एक FEMALE पार्टनर ,LIVE IN
RELATIONSHIP में रह रहे हैं दोनों 9 TO 5
की JOB करते हैं| मान लों MALE PARTNER की JOB चली गई तो FEMALE PARTNER उसको खिलाने पिलाने
की जिम्मेदारी नहीं लेगी | LIVE IN RELATIONSHIP की व्यवस्था में दोनों सारे खर्चे बराबर बांटते हैं |एक के धन पर
दूसरे का अधिकार नहीं होता |इसलिए MALE PARTNER की नौकरी चली जाने पर FEMALE PARTNER अपने लिए नया
कोई LIVE IN PARTNER पार्टनर ढूंढ लेगी |यह तो एक उदाहरण है और भी कई छोटे-छोटे
कारण होते हैं ,जिस कारण LIVE IN RELATIONSHIP बहुत ही थोड़े समय के लिए चलता है|LIVE IN RELATIONSHIP नाम की
पूंजीवादी व्यवस्था में यह जरुरी नहीं की एक live in partner Male हो और दूसरा
live in partner female हो | दोनों live in partner male भी हो सकतें और दोनों
partner female भी हो सकतें हैं |दूसरी तरफ सनातन परिवार व्यवस्था में पति और पत्नी का एक दूसरे की संपत्ति पर पूरा अधिकार
होता था | पति और पत्नी का संबंध जन्म
जन्मांतर का होता था |
LIVE IN
RELATIONSHIP में मान लो MALE PARTNER को
कोई बीमारी लग गयी ,तो FEMALE PARTNER उसको छोड़कर जा सकती है |दूसरी तरफ सनातन
विवाह प्रणाली में अगर पति को कोई गंभीर
बीमारी ऐसे कैंसर आदि भी हो गया ,तो भी पति पत्नी उसको छोड़ती नहीं थी बल्कि उसकी सेवा करती थी | इस तरह अगर पत्नी को
कोई गंभीर बीमारी हो गई तो पति भी उसको छोड़ता नहीं था बल्कि उसका अधिक ध्यान रखता था |इसलिए संस्कृत या हिंदी में DIVORCE और
तलाक का शब्द ही नहीं है | DIVORCE
इंग्लिश का शब्द है और तलाक उर्दू अरबी
भाषा का शब्द है। इस तरह पूंजीवादी लोग फैमिली सिस्टम का मुख्य आधार एंजॉय है
बच्चों की स्थिति
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क्योंकि पूंजीवादी नो फैमिली सिस्टम का
मुख्य आधार ENJOY है
और बच्चे ENJOY
में बाधक होने के कारण LIVE IN RELATIONSHIP वाली अस्थायी व्यवस्था में पहले तो कोई बच्चा पैदा होता ही नहीं ,अगर
बच्चा पैदा भी हो जा हो गया तो कई बार उसकी जिम्मेदारी ना MALE PARTNER लेता है
ना ही FEMALE पार्टनर तो उसको अनाथ आश्रम,
जिसको की कॉन्वेंट कहते हैं उसमें डाल दिया जाता है| अगर पूंजीवादी व्यवस्था में
किसी का विवाह हो भी गया और बच्चे हो गए तो जल्द ही माता पिता का तलाक हो जाता है |इस
इस अवस्था में बच्चे या तो माता के पास रहते हैं या पिता के पास | इस व्यवस्था को
पूंजीवादी सिस्टम में SINGLE PARENT FAMILY कहते हैं पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में बच्चों की स्थिति बड़ी ही दयनीय रहती है |या तो
बच्चे अनाथ आश्रम में, या सड़कों पर , या SINGLE PARENT FAMILY द्वारा ,या फिर
सरकार द्वारा पर पाले जाते हैं
| पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में
सरकार की मजबूरी होती है, कि
वह बच्चों की देखभाल करें |पश्चिमी
देशों में जैसे यूरोप अमेरिका आदि बच्चों
की पूरी देख रेख सरकार ही करती है| कुछ पागल लोग यह भी कहते हैं कि भारत
में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए और सरकार को बच्चों की देखभाल करनी चाहिए | पूंजीवादी
NO FAMILY SYSTEM जो बच्चे बहुत ज्यादा भाग्यशाली होते हैं वह SINGLE PARENT
FAMILY में रहते हैं |जिसमें बच्चों को या तो माता का या पिता का प्यार और देखभाल नहीं
मिलती | पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में बच्चे अक्सर अवसाद ,डिप्रेशन ,क्रिमिनल
एक्टिविटीज ,नशे आदि में सम्मिलित रहते
हैं |
दूसरी तरफ सनातन परिवार व्यवस्था पर बच्चों
के बगैर परिवार की कल्पना करना भी व्यर्थ था | माता और पिता बच्चों के माता पिता, दादा दादी ,नाना नानी , चाचा चाची ,मामा
मामी , ताया ताई ,मौसा मौसी , बुआ –फूफा आदि बच्चे के होने पर बहुत ही खुशी मानते थे और सभी बच्चे की पूरी देखभाल करते थे | यह
परिवार व्यवस्था सनातन भारत में चलती थी| सनातन परिवार व्यवस्था में बच्चा कभी भी अवसाद डिप्रेशन का शिकार नहीं
होता था | अगर बच्चे के माता पिता का किसी कारणवश देहांत भी हो जाता था |तो भी सनातन संयुक्त परिवार
व्यवस्था में बच्चे का कोई ना कोई रिश्तेदार उसको पाल पोस कर बड़ा करता था |सनातन
संयुक्त परिवार व्यवस्था में बच्चे माता पिता पर बोझ नहीं थे |बल्कि बच्चे सनातन
परिवार व्यवस्था का मुख्य आधार थे इस व्यवस्था में बच्चों को पूंजीवादी NO FAMILY
SYSTEM की तरह सड़कों पर ,अनाथालय में ,या
सरकार द्वारा चलाए गए संस्थानों में नहीं भटकना
नहीं पड़ता था कुछ मूर्ख लोग पश्चिम के NO
FAMILY SYSTEM की बड़ी तारीफ करते हैं | कि वहां पर बच्चों की पूरी जिम्मेदारी
सरकार उठाती है |इन मूर्खों को यह भी नहीं पता कि वहां पर सरकार की क्या मजबूरी है
|तुमने अपनी सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था जैसी अच्छी चीज को छोड़ कर पूंजीवादी
NO FAMILY SYSTEM को अपना लिया जबकि इन
मूर्खों को सच्चाई का कुछ पता भी नहीं |
बुजुर्गों
की स्थिति
पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में
बुजुर्गों की बहुत ही दयनीय स्थिति होती है | पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में
बुजुर्ग केवल और केवल अपनी जमा पूंजी और सरकार के ऊपर निर्भर करते हैं | बुजुर्ग बुढ़ापे में अकेलेपन का शिकार
रहते हैं |कयोंकि
लगभग सभी बुजुर्ग अकेले रहते हैं तो कई बार कई बजुर्गों की लाश उनके मरने के कई कई
महीनों के बाद मिलती है | कई बजुर्गों के तो केवल अस्थि पिंजर ही मिलतें है |कई मूर्ख लोग इस व्यवस्था को भारत में भी
लागू करना चाहते हैं कि परिवार को छोड़ कर बुजुर्गों की देखभाल पूरी तरह सरकार
करें।
दूसरी तरफ संयुक्त परिवार व्यवस्था पर
बुजुर्ग परिवार पर भार नहीं थे बल्कि उनकी
पूरी सेवा और देखभाल की जाती थी अगर किसी बुजुर्ग कि परिवार में उचित देखभाल नहीं
होती थी तो समाज द्वारा उस परिवार का बहिष्कार और तिरस्कार किया जाता था जिस कारण
कोई भी व्यक्ति इतनी हिम्मत नहीं करता था
कि अपने माता पिता दादा दादी की सेवा ना करें । इसलिए सनातन भारत में Insurance जैसे life insurance , Pension Plans , medical
Insurance आदि की कोई जरुरत नहीं थी |
सनातन परिवार व्यवस्था ही सभी को सामाजिक सुरक्षा देती थी | दूसरी तरफ पूंजीवादी NO
FAMILY SYSTEM में हरेक व्यक्ति के पास life insurance , Pension Plans , medical Insurance आदि होने
आवश्यक हैं क्योकि पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM अगर आप बीमार पड़ गए तो आप की देखभाल
करने के लिए कोई परिवार नहीं होगा | बुढ़ापे में जब व्यक्ति कमा नहीं सकता
पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में उसको
नियमित मासिक आमदन के लिए सरकार ,बीमा कम्पनीज पर निर्भर रहना पड़ता है |
रोजगार
सनातन भारत में एक मशहूर कहावत प्रचलित
थी |उत्तम खेती,
मध्यम व्यापार, नीच
नौकरी |इस कहावत का आधार यह था कि किसान केवल भगवान पर आश्रित है इसलिए खेती को
उत्तम कहा गया | व्यापारी भगवान और ग्राहक पर आश्रित है इसलिए उसको मध्यम कहा गया |नौकरी
को नीच इसलिए कहा गया कि नौकर हर तरीके से दूसरे पर आश्रित है इस तरह सनातन परिवार
व्यवस्था का दूसरा मुख्य आधार खेती था या परिवार का अपना काम या उद्योग धंधा था | अपनी खेती या परिवार का अपना काम या उद्योग धंधा
होने के कारण परिवार के किसी नौजवान को नौकरी के लिए बाहर नहीं भटकना पड़ता था|
इसलिए आर्थिक कारणों से भी परिवार एक जगह पर रहता था इस व्यवस्था में अगर कोई भाई
कम कार्य कुशल भी होता था तो भी परिवार के काम धंधे में उसको ajdust कर लिया जाता था | नौजवान अपने माता-पिता भाई-
बहनों से काम के गुर सीखते थे | इस तरह भारत में कार्यकुशलता एक पीढ़ी से दूसरी
पीढ़ी में ट्रांसफर हो जाती थी | सनातन परिवार व्यवस्था के इस कार्यकुशलता को अपनी
आने वाली पीढ़ी में हस्तांतरित करने की इस कुशल व्यवस्था के कारण भारत सन 1700 तक
विश्व का नंबर एक आमीर देश बना रहा | अंग्रेजों के आने पर भारत में पूंजीवादी
व्यवस्थाओं को थोपा जाने लगा | इन पूंजीवादी व्यवस्थाओं के कारण भारत की
गिनती विश्व के गरीब देशों में होने लगी |
दूसरी ओर पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM में
परिवार ना होने के कारण परिवारिक काम धंधा होने का कोई अर्थ ही नहीं है| व्यक्ति
को नौकरी ढूंढने के लिए और नौकरी करने के लिए दूर दूर तक जाना पड़ता है |कभी कई
बार तो नौकरी अलग-अलग देशों में मिलती है |जैसे कि मान लो पूंजीवादी NO FAMILY
SYSTEM में किसी का विवाह हो गया तो उसकी पत्नी कहीं और किसी एक शहर में नौकरी
करेगी और उसका पति किसी अन्य शहर में नौकरी करेगा |इस तरह कई बार दोनों का अंतर
दोनों के कार्य स्थलों का अंतर इतना अधिक होता है कि वह महीनों महीनों तक इकट्ठा ही नहीं हो सकते। जैसे कि मान लो पत्नी
अहमदाबाद में इनकम टैक्स की कमिश्नर है और पति दिल्ली में आईएएस अफसर लगा हुआ है |तो
यह दोनों कई महीनों तक भी नहीं मिल सकते |दोनों का काम में इतने व्यस्त रहते हैं
कि बच्चों का तो प्रश्न ही नहीं उठता |धीरे धीरे दोनों को एक दूसरे की जरूरत ही
महसूस नहीं होती और धीरे धीरे कभी कोई छोटा-मोटा झगड़ा हो जाता है तो बात तलाक तक आ जाती है। इस तरह आजकल की पूंजीवादी
व्यवस्था परिवार व्यवस्था को सपोर्ट नहीं करती |पूंजीवादी व्यवस्था में आपका
परिवार बस जाए ऐसी संभावनाएं बहुत ही थोड़ी है ।
सनातन संयुक्त परिवार व्यवस्था के टूटने के का कारण
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पूंजीवादी
Information warfare
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पूंजीवादी व्यवस्थाओं को फ़ैलाने में पूंजीवादी information warefare
द्वारा फैलाये गए दुष्प्रचार का प्रमुख योगदान है |विश्व को दो तरह की शक्तिओं से नियंत्रित किया जाता है |
एक है Soft Power दूसरी है hard
power | hard power होती है Military ,Judiciary ,Policing आदि | यह hard
power सरकार के पास होती है| Soft Power के मुख्य स्त्रोत हैं, टीवी, फिल्में ,समाचार
पत्र , आदि | इनसे में धीरे धीरे लोगों का
ब्रेनवाश किया जाता है जैसे कि फिल्मों में
बड़े परिवार को घटिया दिखाया जाता है, अपना काम धंधा करने वाले लोगों को अनपढ़ और बेकार दिखाया जाता है । सनातन परिवार
व्यवस्था का मुख्य आधार स्त्री थी एक स्त्री ही सारे परिवार की जड़ होती थी स्त्री ही एक परिवार को बसा कर रखती थी | नारी
मुक्ति का आंदोलन चलाने वालों ने धीरे धीरे स्त्री स्त्री को इस बात के लिए
प्रेरित किया की परिवार उसके लिए गुलामी के बंधन है अगर वह इस गुलामी से मुक्ति
चाहती है तो उसको विद्रोह करना ही पड़ेगा | फिल्मो ,टी वी धारावाहिकों में
live-in-relation आदि बड़े अच्छी तरह से पेश किया जाता है | live-in-relationship
की बुराइओं के बारे में कुछ नहीं दिखाया जाता | फिल्मों के माध्यम से नशे ,open
sex आदि को प्रोमोट किया जाता है |उदहारण के लिए पिछले दिनों एक फिल्म आये थी पिंक
| जिसमे तीन लडकिया थी जो पैसे के लिए अपना जिस्म बेचतीं थी उनको इस फिल्म में हर
तरीके से महिमामंडित किया गया है और मजे की बात है यह फिल्म कई awards भी जीत जाती
है | information warefare के माध्यम से पूंजीवादी व्यवस्थों के काले पक्ष को ढक
लिया जाता है |
पूंजीवादी
न्याय व्यवस्था
आज काल की पूंजीवादी न्याय व्यवस्था के
द्वारा सनातन परिवार व्यवस्था को तोड़ने के लिए इतने कड़े कानून बनाए गए हैं कि आप
सोच ही नहीं सकते |अगर आप विवाह करते हैं तो आपको हर समय डर रहता है छोटे-मोटे
झगड़े पर भी आप को जेल ना हो जाए || इस कारण धीरे-धीरे लोगों का विवाह जैसी
संस्थाओं से विश्वास उठ गया |लोग अब विवाह करने से डरने लगे हैं | यह कड़े कानून
सनातन परिवार व्यवस्था का विघटन का एक मुख्य कारण है|
पूंजीवादी LAND MANAGEMENT SYSTEM
सनातन भारत में चार चीजें बिल्कुल ही
मुफ्त थी एक शिक्षा ,दूसरी थी चिकित्सा ,तीसरा था न्याय और
चोथा था काम करने के लिए जमीन। सनातन भारत
में जमीन के लिए सनातन व्यवस्था प्रचलित थी | अगर आप भी अगर आज भी आप किसी जमीन की
REGISTRY को देखो तो आप देखोगे की जमीन की रजिस्ट्री की भाषा अरबी है| इससे पता
लगता है कि मुसलमानों के आने के बाद ही भूमि की खरीद बेच शुरू हुई| उससे पहले सनातन भारत में भूमि की
खरीद बेच नहीं होती थी |इसका एक और प्रमाण यह है कि आज भी लाल डोरा और लाल लकीर के अंदर बड़ी जमीन की रजिस्ट्री होती |अगर
आप पूछेंगे कि इस जमीन की रजिस्ट्री क्यों नहीं होती तो इसका उत्तर है कि यह गांव
मुसलमानों के आने से पहले ही बसे हुए थे| इस कारण मुसलमानों ने इस जमीन को छोड़
दिया ,इसको और नक्शे पर एक लाल लकीर खीच दी | इसलिए लाल लकीर अंदर अंदर वाली जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती |सनातन
भारत में जमीन की सारी OWNERSHIP भगवान के पास होती थी |तभी हमारे यहां एक कहावत
प्रचलित है सब भूमि गोपाल की | सनातन भारत में एक न्यूनतम जमीन रहने और काम धंदे
आदि के लिए सब को मुफ्त मिलती थी | इससे अधिक जिसको जितनी भूमि की आवश्यकता होती
थी वह LAND REVENUE लगान चुका कर भूमि ले
सकता था और उस पर अपना उद्योग धंधा शुरू
कर सकता था
पूंजीवादी व्यवस्था में जमीन की खरीद
बेच होने के कारण और जमीन की अधिकतम सीमा
निश्चित ना होने के कारण जमीन कुछ लोगों
तक ही सीमित रह गई है | पूंजीवादी LAND MANAGEMENT में गरीब ,जानवार ,जंगल के लिए
दो गज जमीन भी उपलब्ध नहीं है |इस कारण अगर आपको कोई उद्योग धंधा शुरू करना है तो
आपको बहुत ही महंगी जमीन खरीदीनी पड़ती है | । इस तरह जमीन की उपलब्धता ना के कारण लोगों को नौकरी की तरफ
जाना पड़ता है | जिस कारण सनातन पारिवार
व्यवस्था की जगह धीरे धीरे पूंजीवादी No family system , जैसे live-in-relation , Single parent family आदि ले रही है |
पूंजीवादी Processing Systems
सनातन प्रोसेसिंग सिस्टम जैसे गुड के कुल्हाड़ , चक्किओं आदि के स्थान
पूंजीवादी Processing Systems जैसे चीनी मीलों , आटा मीलों आदि आने के कारण धंधे छोटे-छोटे उद्योग धंधों के स्थान पर
बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों लग गई है| इस कारण बहुत ही ज्यादा बेरोजगारी फैल गई है |
जिस कारण अब लोगों को नौकरी आदि करने के लिए दूर दूर जाना पड़ता है | इस तरह
स्व-रोज़गार जो सनातन परिवार व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी थी उस पर प्रहार होने के कारन सनातन परिवार
व्यवस्था धीरे धीरे ख़त्म होने की और अग्रसर है और अगले दस बीस वर्षों में सनातन
परिवार व्यवस्था के स्थान पर पूंजीवादी NO
FAMILY SYSTEM पूरी तरह भारत पर हावी हो
जायेगा |अगर आप इस पर विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमारा सनातन ग्रह भंडारण और
पूंजीवादी स्टोरेज पर दिया गया वीडियो देखें।
पूंजीवादी
व्यवस्थाओं में जिन्दा रहने की ऊँची लागत
आजकल के पूंजीवादी व्यवस्था में जिन्दा
रहने की लागत बहुत ऊँची है | सनातन भारत में चार चीज़े बिलकुल मुफ्त थी शिक्षा
,चकित्सा , न्याय और रहने और काम करने के लिए जमीन | आजकल के पूंजीवादी व्यवस्था
में इन चारों पर लोगो की आमदन का लगभग 90% प्रतिशत खर्च हो जाता है | अगर आज भी यह
चारों चीज़ें बिलकुल मुफ्त हो जाएँ जो की सनातन व्यवस्था में बिलकुल संभव है तो
आपके जीवन की लागत बिलकुल कम रह जाएगी | पूंजीवादी व्यवस्था में जिन्दा रहने की
ऊँची लागत के कारण वही व्यक्ति परिवार बसा सकता है जिसके पास अकूत पैसा हो | इसलिए
पश्चात्य देशों में वो ही व्यक्ति विवाह करवाता है जो परिवार का पालन पोषण कर सके |
भारत में भी वह दिन दूर नहीं जब यहाँ पर भी जिन्दा रहने की कीमत इतनी बढ़ जाएगी कि
आप विवाह करवाने की सोच ही नहीं सकते |
सनातन
परिवार व्यवस्था के टूटने से पूंजीवादी कम्पनीज को होने वाले लाभ
आजकल की पूंजीवादी व्यवस्था परिवार
व्यवस्था को बिल्कुल सपोर्ट नहीं करती| आज कल की पूंजी वादी इस बात पर जोर देती है
कि आप अपनी आवश्यकता का सब सामान और सर्विसेज बाजार से खरीदें ताकि पूंजीवादी
कम्पनीज़ को अधिक से अधिक लाभ मिलता रहे उदाहरण
के लिए विश्व के सबसे बड़े पूंजीवादी देश अमेरिका में पूंजीवादी NO FAMILY SYSTEM के
कारण केवल 10% लोग ही घर पर भोजन बनातें हैं | जबकि भारत
में सनातन परिवार व्यवस्था होने के कारण अभी भी लगभग 90% लोग घर पर ही खाना बनाते
हैं | लेकिन भारत में भी
105 करोड़ घाटे वाली Zomato की मार्किट
वैल्यू 17500 करोड़ और 390 करोड़ घाटे वाली
Swiggy की मार्किट वैल्यू लगभग 23000 करोड़ रुपए है ।
क्योंकि इन कम्पनियों को उम्मीद है कि जैसे जैसे भारत की सनातन परिवार व्यवस्था
टूट जाएगी तो मजबूरी में लोगों को बाहर से खाना खरीद कर खाना पड़ेगा । यह दोनों
कम्पनीज food maufacturing और suply का काम करती हैं | आज से लगभग बीस वर्ष पहले
तक भारत के हर घर में कोटि ,स्वेटर ,शाल , खेस , अचार ,मुरब्ब्बे , गचक , आदि घर
में ही बनाये जाते थे | धीरे धीरे अब भारत के सब घरों में पूंजीवादी व्यवस्थाओं के
हावी हो जाने के कारण अब भोजन को छोड़कर सब चीज़े हम बाज़ार से खरीदने लगें हैं | अब
धीरे धीरे सनातन परिवार व्यवस्था के विघटन के कारण हम जल्द ही अमेरिका की तरह
तरक्की कर जायेगें और अपना भोजन भी बाज़ार से खरीद खाने लगेगें |
Bahut badhiya
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