क्या आजकल की पूंजीवादी खेती बेसहारा गोवंश की समस्या जड हैं ?
आजकल की पूंजीवादी खेती में क्योंकि सारे क्षेत्र में और सारे किसान एक ही
तरह की फसल बीजते हैं । इस कारण किसानों को पशुओं के आहार को प्राप्त
करने के लिए बहुत ही कठिनाई होती है ।जैसे कि पंजाब में गेहूं और धान की
फसल होती है ।गेहूं की फसल अधिकतर अप्रैल के महीने में आ जाती है। गेहूं की
फसल से जो भूसी प्राप्त होती है उसको चारे में मिलाकर प्रयोग किया जाता है। लेकिन धान की फसल से कोई भी भूसी आदि प्राप्त नहीं होती और
पशु सारा साल केवल भूसी पर तो निर्भर रह नहीं सकता । इस कारण किसानों को
पशुओं के लिए सरसों की खल ,कैटल फीड ,चने के छिलके आदि को बाजार से खरीदना
पड़ता हैं ।जिस कारण दूध के उत्पादन की लागत बहुत ही बढ़ जाती है । दूध
के उत्पादन की लागत अधिक होने के कारण गाय पालन खर्चीला हो रहा है इस कारण
धीरे धीरे किसान गाएं को खुला छोड़ रहे हैं। पहले भारत में सनातन वैदिक
मिश्रित खेती होती थी एक किसान अपने खेत में कई कई फसलें बीजता था , और ये
फसलें अलग अलग समय पर कटाई के लिए तैयार होती थी ।जो खेत काट दिया जाता था ,
उसमें गाय , भैंस,बकरी, भेड़ों ,बैल आदि को चलने लिए छोड़ दिया जाता था ।
फिर दूसरे खेत की कटाई शुरू हो जाती थी तो गाय आदि को चरने के लिए दूसरे
खेत में छोड़ दिया जाता था ।गाय आदि वहां पर फसल के बचे हुए अवशेष खाकर
गोबर मल मूत्र आदि खेत में ही छोड़ देते थे ।जिस कारण खेत की उर्वरक
क्षमता बढ़ जाती थी और किसानों को बाहर से कोई भी खल, कैटल फीड आदि भी नहीं
खरीदने पढ़ते थे। गायों को भी अलग अलग तरीके की जड़ी बूटियां और फसलें
खाने को मिलती थी और वह आजकल की तरह समय खूंटे से बंधी नहीं होती थी। इस
कारण गाय पालन किसानों पर बोझ नही था । इसलिए सनातन भारत में गाय आदि
आवारा नहीं घूमते थे। इसके अतिरिक्त गाय आदि जानवरों की सेहत भी बहुत अच्छी
रहती । अगर हम सनातन वैदिक जैविक मिश्रित खेती की तरफ पुनः लौट चलें ।
तो भारत में बेसहारा गाय की कोई समस्या नहीं रहेगी ।अंत में हम जानने की
कोशिश करते हैं कि किसान ने वैदिक मिश्रित खेती को छोड़ कार आजकल की
पूंजीवादी खेती करना क्यों शुरू कर दिया | इसका सबसे बड़ा कारण है सरकार
दुबारा दिया जाने वाला नुयुनतम समर्थन मूल्य (MSP) | नुयुनतम समर्थन मूल्य
किसान को किसी एक ही फसल लगातार बीजने पर मजबूर करता है | जैसे पंजाब में
केवल गेहूं और धान के MSP के कारण किसान को गेहूं और धान बोने पर मजबूर
होना पड़ता है | और किसी फसल की सरकार दुबारा खरीद ना होने के कारण किसान
लगातार बार बार बोही फसल बीजता है | किसान को समझना पड़ेगा कीMSP सरकार
किसानो को नहीं बल्कि पूंजीपति लोगो को देती है ताकि किसान मिश्रित खेती से
दूर रहे और किसान को उर्वरक ,बीज , आदि बाजार से खरीदने पड़े | सरकार अगर
किसानो का भला चाहती है तो सरकार को चाहिए जितनी सब्सिडी वह किसानों पर 1
साल में खर्च करती है किसानों के खातों में सीधा ट्रांसफर करें जैसे कि मान
लो एक किसान के हिस्से में 10000 रुपए मासिक आते हैं तो बारको चाहिए सरकार
को चाहिए कि ₹10000 महीना किसान के खाते में सीधा ट्रांसफर करें और फालतू
में किसान को मजबूर ना करें कि वह वही फसलें दीजिए जिससे की सारी सारी कृषि
पूंजीवादी कंपनियों पर निर्भर हो जाए जैसे कि आजकल की सारी कृषि पूंजीवादी
कंपनियों पर निर्भर है।
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