परिवार के अब लोगों का जॉब करने का जो रिवाज चला है । वह परिवार ,बच्चों और स्त्रीयों के लिए अत्यधिक घातक है । इसने अमेरिका , यूरोप में परिवार व्यवस्था का और ईसाइयत का एक प्रकार से अंत कर दिया हैं । यहां अमेरिका एक और 1960-70 के दशक में 60% लोग परिवार में रहते थे अब केवल 10% लोग ही परिवार में रह रहें हैं । इसका एक बड़ा कारण पति और पत्नी दोनो का जॉब करना हैं । इससे परिवार बन नहीं पाता। इसको देखते हुए अब अमेरिका में traditional family system की मांग जोर पकड़ती जा रही है । जिसमें पति कमाता है और पत्नी घर ,परिवार और बच्चे संभालती है । भारत में आज से 30 वर्ष पहले तक स्त्री की कमाई खाना उचित नहीं समझा जाता था केवल बहुत आपातकाल में स्त्री कमाई करती थी वह भी अधिकतर घर पर रह कर । इससे परिवार भी बच्चा रहता था और स्त्री भी सुरक्षित और आराम से रहती थी । प्रकृति ने स्त्री का शरीर नाजुक बनाया है । स्तनपान मां ही करवा सकती है पिता नहीं । मासिक धर्म स्त्री को ही आता है ,पुरुष को नही। स्त्री का शरीर हर दो तीन घंटे के बाद आराम मांगता है जो घर पर ही संभव है । लेकिन कॉरपोरेट को सस्ती लेबर उपलब्ध करवाने क
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दो जन्मदिन अगर हमने सनातन संस्कृति को अपने बच्चों में सफलता पूर्वक हस्तांतरित करना है तो हमें दो बार जन्मदिन मानने का तरीका अपनाना ही पड़ेगा। एक जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से और दूसरा विक्रमी पंचांग के अनुसार । हम अपने बच्चों को अगर यह सुझाव दें कि वह केक बगैरा काट कर अपना जन्मदिन अंग्रेजी कैलेंडर से मना लें और दूसरी बार जन्म दिन सनातन परंपरा के अनुसार विक्रमी पंचांग के अनुसार मना लें । विक्रमी पंचाग के अनुसार जन्मदिन मनाने के निम्नलिखित लाभ होंगे 1. आपके बच्चे का जन्म पूर्णतय वैज्ञानिक और शास्त्रों के अनुसार मनाया जाएगा । क्योंकि सारे ग्रह नक्षत्र अपनी सही स्थिति में होंगे । 2. इस दिन आप हवन करवाएं , गऊ माता को बच्चे के हाथ से चारा डलवाएं , घर में बढ़िया व्यंजन बनाए । मंदिर में , गौशाला ,गुरुकुल में जाएं । ऐसा करने से आपके घर की भी शुद्धि होगी और मन की भी ।और बच्चो को गऊ माता और देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा ।धीरे धीरे बच्चा और आप सनातन संस्कृति से जुड़ जायेगा । 3.धीरे धीरे अंग्रेजी जन्मदिन को dilute करतें रहें । जैसे उपहार आदि सनातन जन्मदिन के समय अधिक दें । अंग्
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सरकार के पल्ले हिंदुओं को देने के लिए कुछ नहीं है । इनका single point agenda है कि छोटे लोगों को समाप्त कर बड़ी कंपनियों को कैसे सारा व्यापार हस्तांतरित किया जाया और इसको जीडीपी और विकास का नाम देकर आम लोगों को उल्लू बनाया जाए । बड़ी कंपनियों की सबसे बड़ी समस्या होती है कि इनको transport cost बहुत पड़ती है। जिससे यह कुटीर उद्योगों के सामने टिक नही पाते । अब adani का नकली कच्ची घानी का सरसों का तेल एक तो असली छोटे कोहलू के ठंडे सरसों के तेल के सामने कहीं नहीं टिकता । दूसरा ग्राहक सीधा किसान पीली सरसों के 50 किलो की एक बोरी activa पर डाल कर छोटे कोहलू से निकलवाने लगा है । अब इसमें transport की लागत आई 50 रुपए । अडानी अब सरकार पर दवाब डाल रहा है कि logistick cost कम करो । इसलिए सरकार अब नई logistic नीति लेकर आई है जिससे कॉरपोरेट को ट्रांसपोर्ट की लागत कम से कम हो जिससे कुटीर उद्योगों की रही सही कमर भी टूट जायेगी । सरकार से यही प्रयास आम आदमी का चूर्ण निकाल रहें हैं लेकिन उनको जीडीपी का और कारों की बिक्री का आंकड़ा देकर चुप करवा दिया जाता है ।
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शराब के स्थान पर भांग को प्रमोट करें । जिस दिन यह हो गया शराब का कांटा अपने आप निकल जायेगा क्योंकि भांग व्यक्ति को स्थिर करती है जिससे व्यक्ति कोई गलत काम नही करता ,जबकि शराब व्यक्ति को अस्थिर करती है जिसके बाद व्यक्ति कोई गलत काम नहीं छोड़ता । इसलिए शराब माफिया से मोटी रकम लेकर विश्व की अधिकतर सरकारों ने भांग पर प्रतिबंध लगा दिया और शराब को जमकर प्रोत्साहित किया। इससे समाज का तेजी से नैतिक पतन हुआ । अमेरिका , यूरोप के लोग सरकारों के इस षड्यंत्र को शीघ्र ही भांप गाए और social media का उन्होंने जमकर लाभ लिया । उन्होंने निरंतर अभियान चलाकर शराब का उचित विकल्प भांग पर लगे प्रतिबंध को हटवा लिया । इससे वहां का शराब और नशा माफिया तिलमिलाया हुआ है । जापान की राष्ट्रवादी सरकार को शराब माफिया ने जमकर रिश्वत दी है कि वहां की ईमानदार सरकार शराब को प्रमोट करे इसलिए जापान की राष्ट्रवादी सरकार जापान के लोगों का नैतिक पतन करने हेतु 20 से 39 वर्ष की लड़कियों और लडकों के बीच अधिक से अधिक शराब पीने के लिए प्रतियोगिता करवा रही है । भारत में शराब से सबसे अधिक हानि हिंदू समाज की हुई है क्योंकि मुस्लिम स
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पनीर घर तैयार करने का सबसे आसान तरीका । सेब का सिरका डाल कर दूध को दस मिनट के लिए रख दें । फिर इसको गर्म कर लें । पांच मिनट में दूध फट जायेगा । सूती कपड़े से छान लें । बची हुई लस्सी से बाल धो लें या नहा लें । सेब का सिरका आप घर पर बना सकते हैं । इससे निम्न लिखत लाभ होंगे । 1. अमूल और दूसरी कंपनियों के हफ्तों पुराने केमिकल युक्त पनीर से छूटकारा मिलेगा । 2. शुद्ध पनीर से आप स्वस्थ रहेंगे जिससे हेल्थ सेक्टर की जीडीपी कम हो जायेगी और देश अंध युग में चला जायेगा । शुद्ध पनीर खाएं हेल्थ सेक्टर की जीडीपी खटाएं।
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अंग्रेजों ,कांग्रेस और चर्च ने मिलकर सिख पंथ की जड़ों में ऐसा मट्ठा डाला है कि हिंदुओं की तरह सिख पंथ जड़ें बिल्कुल खोखली हो चुकीं हैं ।और खास बात यह है कि सिखों में सच बोलने वाला कोई नहीं हैं और सिख 1850 के दौर से बाहर नहीं आ पा रहे । चर्च के इशारे पर कॉमरेडस ने पंजाब के हर गांव में जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी बना दी है । जिसका मुख्य उद्देश पंजाब में जट्ट सिख और दलित सिखों के बीच पड़ी दरार को और चौड़ा करना हैं ।पंजाब के गांव की शामलात जमीन पर सरकारी कानून के अनुसार दलितों का हक है । यह शामलात जमीन राजे रजवाड़ों ने गौ माता के चारागाह के रूप में छोड़ी थी । अब गाय कौन सा वोट देती है इसलिए यह जमीन पंजाब सरकार ने एक कानून बनाकर दलितों के नाम कर दी । इन अधिकतर शामलात जमीन पर पंजाब के दबंग जट्ट सिख समुदाय का कब्जा है । चर्च समर्थित कामरेडस की जमीन प्राप्त संघर्ष कमेटी हर गांव में इस शामलात जमीन को दलित समुदाय को देने के लिए आंदोलन कर रही है । जिससे जट्ट सिख और दलित सिखों में झगड़े हो रहें हैं । जट्ट सिखों का पंजाब के गुरुद्वारों पर और गांव के शमशान घाटों पर नियंत्रण है अब जट्ट सिख इस जमीन प
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-चलो कान पकड़ो (कान की लौ earlobe) और उठक बैठक लगाओ" यह सज़ा मास्टरजी क्यों देते है , ये शायद उन्हें खुद भी नहीं मालुम होगा. आपको ये जानकर हैरानी होगी की ये सज़ा भारत में प्राचीन गुरुकुल-शिक्षा पद्धति के समय से चली आ रही है. तब यह सिर्फ उन बच्चों की दी जाती थी जो पढाई में कमज़ोर थे. पर अब हर किसी बच्चे को किसी भी गलती के लिए दे देते है ; क्योंकि उन्हें इसके पीछे का विज्ञान नहीं पता. हाथ क्रॉस कर कान पकड़ने की मुद्रा ब्रेन के मेमोरी सेल्स की ओर रक्त संचालन में वृद्धि करती है. साथ ही यह ब्रेन के दाए और बाए हिस्से में संतुलन स्थापित कर ब्रेन के कार्य को और बेहतर बनाती है. यह मुद्रा चंचल वृत्ति को शांत भी करती है.कान में मौजूद एक्युप्रेशर के बिंदु नर्व्ज़ के कार्य को सुचारू बनाते है और बुद्धि का विकास करते है. यह मुद्रा ऑटिज्म , एसपर्जर सिंड्रोम , लर्निंग डिसेबिलिटी , बिहेवियर प्रॉब्लम में भी मदद करती है. इसे कई बीमारियों में भी करने का परामर्श दिया जा रहा है. बच्चों का नैतिक पतन रोकने के लिए शिक्षकों और अभिवावकों के हाथ में दण्ड लेनें शक्ति होना नितांत आवश्यक है । पूंजीवाद और कम्युनि
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अगले दस वर्षों में हिंदुओं का पतन निश्चित है जो कांटे 1980 के दशक में बोए गए थे dowry act ,domestic violence act ,women empowerment, के रूप में उनका अब रुझान आना शुरू हो गया है। बॉलीवुड और सरकार मिलकर स्त्री जाति को यह समझाने में कामयाब रही है कि पति केवल अमीर होना चाहिए , माध्यम वर्ग को परिवार का स्वप्न लेना बंद कर देना चाहिए । आज 50% हिंदू लड़के लड़कियों के विवाह नहीं हो रहे और जिन 50% के विवाह हो रहें हैं उनमें से केवल 10% ही बच पा रहें हैं कम से कम महानगरों के गंदे वातावरण में यह हो रहा है । छोटे नगरों और गावों में यह गंदा वातावरण बहुत तेजी से फैल रहा है । लेकिन मुस्लिम समाज को इस सरकारी षड्यंत्र से मुक्त रखा गया है । अगर इसको रोका नहीं गया तो हिंदुओं की अगली पीढ़ी जो 20 साल से कम की है उनका परिवार शायद ही बच पाए । कुल का नाश क्या होता है हिंदुओं की वर्तमान पीढ़ी को इसका रस्वादन होकर रहेगा । बहुत जल्द ही इस पर बहुत विस्तार से लेख लिखा जायेगा जिसमें कारण और निदान दोनों लिखे जायेंगे ।लेकिन हिंदू समा इस समस्या को लेकर कान में तेल डालकर सोया पड़ा है ।
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ब्रिटेन में एक कानून था लिव इन रिलेशनशिप* बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना। जब साथ में रहते थे तो शारीरिक संबंध भी बन जाते थे, तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था। अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने काँन्वेंट खोले अर्थात् जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज हैं उनके लिए काँन्वेंट बने। उन अनाथ और नाजायज बच्चों को रिश्तों का एहसास कराने के लिए उन्होंने अनाथालयों में एक फादर एक मदर एक सिस्टर की नियुक्ति कर दी क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है। तो काँन्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए जायज। इन अनाथ बच्चों ने ईसाइयत को फैलाने का जबरदस्त काम किया । अधिकतर क्रुसेड में लड़ने वाले योद्धा यही अनाथ बच्चे थे जो live in relation के नापाक रिश्ते से पैदा हुए थे । पहले पहले चर्च ने इस व्यवस्था को खूब बढ़ावा दिया । लेकिन जो बात गलत होती है वह गलत ही रहती है । एक दिन उसका परिणाम भुगतना ही पड़ता हैं । हुआ यूं 1950 में गर