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Carona Virus और पूंजीवादी मास प्रोडक्शन

मित्रों जैसे की हम सभी जानते हैं जैसे जैसे पूंजीवादी अर्थतन्त्र हमारे देश पर हावी हो रहा है हमारे देश में शहरीकरण की समस्या विकराल रूप ले रही है । इस शहरीकरण को विकास कहा जा रहा । शहरीकरण कारण का सबसे बड़ा कारण पूंजीवादी एक फ़सली खेती है और अर्थव्यवस्था ,कर व्यवस्था, न्याय व्यवस्था ,शिक्षा व्यवस्था और शाशन व्यवस्था का स्थानीकरण के स्थान पर बडे बड़े शहरों तक केंद्रित होना । इसलिये रोज़गार की तलाश में लोग बड़े शहरों का रुख कर रहें हैं । शहरीकरण से कई समस्याओं का जन्म होता है जैसे जल ,सैनीटेशन ,क्राइम में बृद्धि आदि । इन समस्याओं के अतिरिक्त यहां की जनसंख्या की आहार संबन्धी समस्याओं के हल के लिये एक नई समस्याओं को विकास के नाम पर पैदा किया जाता है । उदहारण के लिये दूध ले लो । 5 दिन पुराना केमिकल युक्त गंदा दूध fresh कहकर बेचा जाता । अब बड़े शहर में जमीन की कमी और जमीन की कीमत इंचों में होने के कारण कोई गरीब आप के लिये करोडों की ज़मीन पर दो गाये बांध कर आपको ताज़ा दूध तो देने से रहा । आपको कंपनी पांच दिन पुराना दूध मिलता है और आप चमचमाती प्लास्टिक की थैली पर fresh शब्द देखकर ही खुश हो लेते हो ।
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जब लोगो को पैकेटबंद chemical युक्त गन्दे दूध की सच्चाई के बारें में पता चला तो पूँजीवादी कंपनियों ने विकास के नाम पर उल्लू बनाने के लिये नया शिगूफा छोड़ा है UHT दूध का । इस दूध को 135 degree पर गर्म किया जाता है तो इसकी लाइफ 6 महीने हो जाती है वह भी बिना किसी रेफ़्रिजरेटर के । इस दूध में जल हुये दूध की बदबू आती है उसको छुपाने के लिये अब इसमें कोई केमिकल मिला दिया जाएगा और बेवकूफ लोगों को दस साल और बेवकूफ बना कर विकास की डुगडुगी बजा दी जाएगी । अब सोचने वाली बात यह है कि इतने high temperature पर दूध के सारे गुण नष्ट हो जायेंगे और दूध से cancer उत्पन्न होने का ख़तरा बढ़ जाएगा । जय विकास ,जय जीडीपी ,जय ग्रोथ ।
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स्वदेशी Sanatan अर्थव्यवस्था में जो चीज़ फ्री में उपलब्ध थीं वह आज कल के पूंजीवादी मॉडल में पैसे देकर प्लास्टिक की पैकिंग में एयरकंडीशनर शोरूम में बेची जाती हैं । और विकास के गुण गये जातें हैं । पहले पूंजीवादी सिस्टम द्वारा एक समस्या खड़ी की जाती है । फिर उसके हल के लिये नई समस्या का अविष्कार किया जाता है । फिर विकास का ढोल पीटा जाता है । उदहारण के लिये पूंजीवादी प्रोसेसिंग सिस्टम जैसे रिफाइंड आयल ,चीनी मिल ,शराब आदि की बड़ी बड़ी पूंजीवादी मिलों द्वारा पहले पानी गंदा किया जाता है । इस समस्या के समाधान के लिये mineral water जिसमें कोई मिनरल नही होता पलास्टिक की बोतलों में भर भर कर आधुनिकता के नाम पर बेचा जाता है । और विकास की डुगडुगी बजायी जाती है । फिर इस गंदे 4-5 महीने केमिकल युक्त पानी से जिससे हड्डियां कमजोर होने लागत हैं और कई बीमारियां उत्पन्न होने लगती है उसके इलाज के नाम पर आपको allopathy के एंटीबायोटिक का चूर्ण चटाया जाता है और आपको बताया जाता जाता है कि देखो medical science ने कितनी तरक्की कर ली । आपके पूर्वज तो कितने बैकवर्ड थे । इस तरह पूंजीवाद का दुष्चक्र चलता रहता है । जो नि

घर की निकाली हुई देशी दारू vs पूंजीवादी बोतलबन्द शराब

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1. देशी दारू पिते में गर्मी नही बढ़ाती जबकि पूंजीवादी बोतलबन्द शराब पिते में गर्मी उत्तपन्न करती है । जिस कारण उच्च रक्तचाप high bp की समस्या हो सकती है। 2.घर की बनी देशी दारू में जड़ी बुटियां डाली जाती हैं । जैसे गुड़ ,सौफ आदि । यह एक तरह की औषधि है । पहले जिस व्यक्ति को जो रोग होता था वह उस तरह की औषधि डालकर देशी दारू तैयार करवा लेता था । जैसे मान लो किसी व्यक्ति को sex संबन्धी सममस्या है तो वह सफेद मूसली आदि डालकर घर में देशी दारू निकाल लेता था । जिसका दिल कमजोर होता था । वह अर्जुन छाल डालकर दारू तैयार कर लेता था। ओषधीय गुण होने के कारण इसको दारू कहा जाता था । क्योंकि यह नशा इसका sideeffect था इसलिये इसको रत्रि को प्रयोग किया जाता था । 3. दुसरी तरफ पूंजीवादी बोतलबन्द शराब में किसी भी तरह की औषधि का प्रयोग नही किया जाता । इसमे हानिकारक chemical का प्रयोग किया जाता है । जो बोतलबन्द शराब आप 200 रुपये की लातें हैं उसमे raw material अधिक से अधिक 2 से पांच रुपये का होता है बाकि सब tax ,profit ,transportation ,पैकिंग ,रिश्वत आदि में निकल जाता है । पांच रुपये में तो कोई आपको औषधि सूंघने न

हिन्दू युवाओं को नौकरी (ग़ुलामी)के स्थान पर अपना कारोबार क्यों करना चाहिये ।

1. जब आप नौकरी( ग़ुलामी) करते हैं तो प्रायः आप को अपना घर बार छोड़ कर किसी अन्य शहर में जाना पड़ता है इससे होता क्या है कि आपका परिवार टूट जाता है आपको अपने मां बाप भाई बहनों की जो support आपके पैतृक नगर में मिल सकती है वह किसी अन्य नगर में नही । अगर आप अपना खुद का कारोबार करते हैं तो आप अपने परिवार के पास रह सकते हैं। 2. नौकरी( ग़ुलामी )करने के लिये आप को बहुत अधिक पढाई करनी पड़ती है जिसमे आजकल बहुत अधिक पैसा लगता है । इसके बाद भी कोई गारंटी नही की आप को कोई ढंग की नौकरी ( ग़ुलामी) मील या ना मिले । दूसरी तरफ इतने पैसे में आप अपना कारोबार आराम से कर सकते हैं। 3. अच्छी नौकरी (गुलामी) पाने की चाह में अक्सर आदमी की उम्र निकल जाती है । इसलिए विवाह में भी कठिनाई होती है । विवाह में देरी से बच्चे देर से होते हैं ।अभी आपके बचे छोटे ही होते हैं कि आपका  दम निकल जाता है । 4. नोकरी करने में आपकी आधी उम्र तो सड़क पर निकल जाती है travelling करते समय। 5. दुनिया में कोई भी अमीर आदमी नोकरी नही करता । दूसरे शब्दों में नौकरी करने पर कोई आदमी अमीर नही बन सकता । आपके शहर में आप स्वंय देखो सबसे शानदार मकान