1967 तक देश में jury system था । जज के साथ 10 12 स्थानीय लोगों की ज्यूरी बैठा करती थी । न्याय देने का अधिकार ज्यूरी के हाथो में होता था । Rustam फिल्म में आप दे ख सकते हैं । फिर पता नहीं क्या हुआ ज्यूरी सिस्टम को हटा दिया । अब फैसला केवल जज के हाथ में है । अगर जज को खरीद लो तो फ़ैसला आपके हक में हो जाता है । इंग्लिश में कहावत है Power corrupts Absolute Power corrupts Absolutely . अब जज के हाथ में absolute power आ गई है इसलिए अदालतों में अब बिना रिश्वत के फैसला भी नहीं होता । सनातन भारत वैसे तो सनातन न्याय व्यवस्था का पक्षधर है । जिसमे सबको त्वरित और निशुल्क न्याय दिया जाता था । लेकिन सरकार अगर सनातन न्याय व्यवस्था नहीं लगा सकती तो ज्यूरी सिस्टम को पुनः Restore करना चाहिए । सरकार के कान खोलने के लिए बता दुं कि जिस मुआशरे (देश) में लोगों को इंसाफ नहीं मिलता वह ज्यादा देर चल नहीं सकता । सनातन न्याय व्यवस्था विस्तार से फिर कभी
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कैसे पूंजीवादी बैंकिंग प्रणाली अमेजॉन और फ्लिपकार्ट की सेल को प्रमोट कर रही है और छोटे दुकानदारों को खत्म किया जा रहा है|
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पूंजीवादी व्यवस्था का उद्देश्य यह होता है कि देश के सारे के सारे संसाधन और अधिकार कुछ चंद पूंजीपतियों तक ही सीमित किए जाएं। पूंजीवादी व्यवस्थाओं को प्रमोट करने में पूंजीवादी बैंकिंग प्रणाली का प्रमुख योगदान है। इसको हम एक उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं। मान लो आपने एक दुकान खोली और उस दुकान में बेचने के लिए कुछ सामान रख दिया |अब वह समान को खरीदने के लिए एक ग्राहक आया | उसने बोला कि आपका सामान तो अच्छा है ।लेकिन मेरे पास पैसे नहीं है ।तभी एक बैंक बाला जोकि पास में ही खड़ा था उसने दुकानदार को बोला कि आप सामान ग्राहक को दे दो । ग्राहक से रूपए अपने आप वसूल कर लूंगा और मैं आपको तुरंत भुगतान कर दूंगा । इस सारी व्यवस्था में फायदा किसका हुआ ? चीज किसकी बिकी ? उत्तर है दुकानदार की ।बैंक को क्या लाभ हुआ? बैंक ने बिना किसी सिक्योरिटी लिए ग्राहक को उधार क्यों दे दिया? यही काम आजकल बैंकिंग प्रणाली कर रही है उदाहरण के लिए अगर आप लोकल दुकानदार से सामान खरीदते हो तो बैंक का आपको कोई उधार नहीं देता। लेकिन दूसरी तरफ अगर आप amazon.app फ्लिपकार्ट से सामान खरीदोगे तो आपको बैंक तुरं
क्या पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम में आपका पैसा सुरक्षित है
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पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम में आप के पैसे से कैसे खेला जाता हैं उसको आज समझने का प्रयास करते हैं | अगर आप बैंक से 10 लाख रूपए का HOUSING लोन लेने जाते हो | तो बैंक कम से कम 20 लाख की जमीन गिरवीं रखेगा | पांच लाख आपको अपने पास से भी लगाने के लिए कहेगा | इस तरह बैंक के पास 35 लाख के प्रॉपर्टी गिरवीं रखने पर आपको बैंक 10 लाख रूपए का लोन देगा | हाउसिंग लोन के केस में बैंक आपकी तीन साल की RETURN , VALUATION REPORT , NON ENCUMBRANCE CERTIFICATE ,Legal Opinion , Map passed By MC आदि DOCUMENTS मांगेगा | हो सकता है इनता सब कुछ देने के बाद बैंक फिर भी हाउसिंग लोन देने से इनकार कर दे | अब आप उसी बैंक में , उसी मेनेजर के पास जाईये और उसी से 10 लाख का कार लोन मांगे | तो वह फटाफट 10 लाख रूपए का लोन आपको दे देगा वह भी बहुत थोड़े डॉक्युमेंट्स पर । कार लोन आपको बिना किसी जमीन आदि गिरवी रखने के आसानी से एक दो दिन मेहो जाता है । यदपि 10 लाख के कार की कीमत शो रूम से निकलते ही 8 लाख की रह जाती है ।क्योकि हाई एंड गाडी लोग केवल स्टेटस सिंबल के लिए लेते है | इसलिए हाई एंड सेकंड हैण्ड गाडी की कीमत बहुत
ताज़ा फ्रूट जूस VS बासी PACKAGED FRUIT JUICE
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१. जो लोग ताज़े जूस की दुकान पर गिद्ध की तरह यह देखते रहते हैं कि खी जूस वाले ने पानी तो नहीं मिला दियाउनकी जानकारी के लिए बता दूँ कि Branded Packaged Fruit Juice आदि में अधिक से 15% फ्रूट जूस होता है 85% तो पानी ,केमिकल और चीनी होती है | क्या आप भी मुर्ख नहीं बन रहे | २. ताज़ा फ्रूट जूस अधिक से अधिक आधे घंटे तक ख़राब नहीं होता फिर बासी PACKAGED FRUIT JUICE में ऐसा कौन सा केमि कल मिलाया जाता है की यह 6 महीने तक भी ख़राब नहीं महसूस होते | ३.ताज़ा फ्रूट जूस वाला जूस आपके सामने निकलता है फिर भी आप उस पर यकीन नहीं करते जबकि बासी PACKAGED FRUIT JUICE वाली कम्पनीज कौन कौन से गले सड़े फल बीच में ही पीस देते है | भगवान जाने | ४. बासी PACKAGED FRUIT JUICE से आपकी सेहत बने ना बने लेकिन आपको शुगर जरुर हो सकती है | और एक बार आपको शुगर हो गई तो मरने तक पीछा नहीं छोडती | ५. अगर आप ताज़ा रस पीते हैं तो आप प्लास्टिक का खचरा कम PRODUCE कर रहें जबकि दूसरी तरफ बासी PACKAGED FRUIT JUICE प्लास्टिक के कचरे के बगैर एक कदम भी नहीं चल सकता | ६ .ताज़े फलों के रस से आप धन की सामान बाँट को यकीनी बनत
आयोडीन युक्त नमक vs सेंधा नमक
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१. आयोडीन युक्त नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा लगभग ९७ प्रतिशत होती है हमारी शरीर में रक्त सोडियम क्लोराइड के पीछे पीछे चलता है जबकि सेंधा नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा ८५ प्रतिशत होती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक में सोडियम क्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण रक्त चाप अधिक रहता है २. आयोडीन युक्त नमक में २.५ % मनुष्यों द्वारा मिलिये गए हानिकारक रसायन (केमिकल ) होते हैं जैसे के सल्फर जो के समुद्री नमक का परिशोधन (साफ ) करने के लिए मिलाया जाता है सल्फर युक्त नमक जब हम खाते हैं तो जल के संपर्क में आने के कारण सुल्फुरिक एसिड में परिवर्त्तित (change ) हो जाता है इसतरह हमारे पेट में अम्ल ( एसिड ) बन जाता है .ये अम्ल जब हमारे रक्त में मिल जाता है तो हमारा रक्त चाप बढ़ जाता . आयोडीन नमक के अतिरिक्त्त सल्फर को चीनी के परिशोधन के लिए प्रयोग किया जाता है इसलिए चीनी के स्थान पर रसायन रहित गुड का प्रयोग करना चाहिए . रक्त चाप बढ़ाने के अतिरिक्त हमारे शरीर में ये सल्फर सभी प्रकार के अम्ल जैसे juric एसिड आदि बनने का कारण है . जिस किसी को उच्च रक्त चाप होगा उनका जुरिक एसिड भी अधिक होगा . जब ये अ
अचार हमेशा घर में बना हुआ ही खाना चाहिए
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क्योंकि 1. बाज़ार के अचार में सरसों का तेल , मेथे और दूसरी औषधियों जैसे सौंफ ,जीरा ,हल्दी ,सेंधा नमक ,राई , कलौंजी आदि के स्थान पर गंदे और तेज केमिकल ,तेजाब आदि का प्रयोग किया जाता है । जो शरीर के लिए लाभदायक कम , हानिकारक अधिक है । 2. बाज़ार में मिलने वाला अचार देखने में गंदा होता है । जबकि घर में बना हुआ अचार देख देख कर मन नहीं भरता । 3. बाज़ार में मिलने वाला अचार गंदे प्लास्टिक में पैक किया जाता है जब कि सनातन स्वदेशी घर का अचार वैज्ञानिक चीनी मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है । यह वैज्ञानिक चीनी मिट्टी के बर्तन अचार के साथ कोई भी रसायनिक क्रिया नहीं करते इसलिए अचार एक औषधि बन जाता है। 4. घर बने हुए अचार में से सुंगध आती है । जबकि गंदे और तेज केमिकलों के कारण branded आचार से बदबू आती है । 5. घर में बने हुए अचार में आप उच्च गुणवत्ता के आम , नींबू ,पीसा , डेला , अंबला ,गाजर ,गोभी ,शलगम , मिर्च , अदरक ,लहसुन , सरसों ,और अन्य औषधियों का प्रयोग करते हैं जबकि बाजार में मिलने वाले ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड आचारों में घटिया क्वालिटी के अवयवों का प्रयोग किया जाता है। 6. घर के बने हुए